फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कायमगंज और सिविल अस्पताल लिंजीगंज में शनिवार को नसबंदी शिविर का आयोजन हुआ। इसमें 18 महिलाओं ने तो एक पुरुष ने नसबंदी कराई| ऑपरेशन के बाद महिलाओं को एंबुलेंस की सहायता से उनके घरों तक भेजा गया।
सिविल अस्पताल लिंजीगंज के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और एनएसवी स्पेशलिस्ट डॉ० मो. आरिफ़ सिद्दीकी का कहना है| पुरुष नसबंदी में शुक्राणु वाहिनी नलिकाओं को बाँध दिया जाता है जिससे शुक्राणु शरीर से बाहर नहीं जा पाते हैं| यह शरीर में ही घुलकर रह जाते हैं| उन्होंने बताया कि नसबंदी कराये हुए व्यक्ति का स्वास्थ्य दूसरे व्यक्ति की तुलना में अधिक अच्छा होता है | नसबंदी के बाद अंडकोष में हल्का दर्द हो सकता है लेकिन संबंध बनाने में कोई परेशानी नहीं होती है| उन्होंने बताया कि पुरुष नसबंदी पूरी तरह से सुरक्षित प्रक्रिया है | नसबंदी के बाद एक दो दिन का आराम बहुत जरुरी होता है |अधिकतर पुरुष दो तीन दिन बाद काम पर जा सकते हैं |नार्मल फिजिकल एक्टिविटी जैसे भागना, बजन उठाना, साईकिल चलाना आदि काम एक सप्ताह रुक कर शुरू किये जा सकते हैं | महिला नसबंदी की तुलना में पुरुष नसबंदी सरल और अधिक प्रभावी है इसमें जटिलताएं कम होती हैं |
उन्होंने बताया कि पुरुष नसबंदी कराते ही तुरंत प्रभावी नहीं हो जाती है | यह तरीका प्रभावी होने में कम से कम तीन महीने का समय लग जाता है क्योंकि ट्यूब में स्पर्म रह जाते हैं जो वीर्य के साथ बाहर निकलते हैं |इस समय के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए नहीं तो महिला गर्भवती हो सकती है | तीन महीने के बाद स्पर्म काउंट के टेस्ट के बाद पता किया जा सकता है कि सीमेन में स्पर्म तो नहीं है |
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. दलवीर सिंह ने बताया कि 1 अप्रैल 2021 से अब तक तक जनपद में लगभग 411 महिलाओं ने नसबंदी की सेवा ली | 3 पुरुष नसबंदी, 8,447 महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी, 7,770 महिलाओं ने आईयूसीडी, 3,394 महिलाओं ने त्रैमासिक गर्भ निरोधक इंजेक्शन अंतरा और लगभग 22,139 महिलाओं ने साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली छाया को अपनाया है | यह शिविर उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के प्रयास से आयोजित हुआ था।
एसीएमओ ने बताया कि यह जमीनी कार्यकर्ताओं की ही मेहनत है कि हमने शासन से मिले पुरुष नसबंदी के लक्ष्य को पूरा किया |
शिवरई वरियार की रहने वाली 30 वर्षीय महिला काल्पनिक नाम पूजा ने सीएचसी पर लगे नसबंदी शिविर में अपनी नसबंदी कराई उन्होंने बताया कि मेरे एक बेटा सात वर्ष का है मुझे और मेरे पति को और बच्चे नहीं चाहिए तो इसलिए मैंने अपनी नसबंदी करा ली मैं बहुत खुश हूँ |
नेकपुर चौरासी के रहने वाले 35 वर्षीय काल्पनिक नाम बंटी ने कहा कि मेरे चार बच्चे हैं सबसे छोटा बच्चा 9 माह का है मैं पेन्टर का काम कर अपने परिवार का पालन पोषण करता हूँ मैंने आज अपनी नसबंदी करा ली मुझे कोई परेशानी नहीं हुई |
मिशन परिवार विकास कार्यक्रम के तहत आने वाले जिलों में नसबंदी अपनाने वाले पुरुषों को प्रोत्साहन राशि के रुप में 3,000 रुपये और महिलाओं को 2,000 रूपये की राशि दी जाती है। इस दौरान यूपीटीएसयू के परिवार नियोजन विशेषज्ञ, बीसीपीएम विनय मिश्र, एएनएम सुषमा लाल आशा कार्यकर्त्ता और लाभार्थी मौजूद रहे|