फर्रुखाबाद:(मेरापुर संवाददाता) संकिसा में शान्ति से सब कुछ चल रहा था| सभी की निगाहें बौद्ध समुदाय द्वारा निकाली जा रही धम्मयात्रा पर थी| कारण यह भी की हर साल की तरह इस बार सनातन धर्मियों और बौद्ध सधर्मियों के बीच जबाबी नारेबाजी होगी| मीडिया कर्मी व पुलिस कर्मी अपने अपने काम कर लगे थे| तभी अचानक वह हुआ जो किसी के सोचा नही था|अचानक धम्मयात्रा के बीच से तकरीबन आधा सैकड़ा अराजक तत्व निकले और बौद्ध धर्म की जय-जय कार करते हुए स्तूप पर चढ़ गये| बौद्ध धर्म जिंदाबाद के नारे लगानें वाले अराजकतत्वों को देखकर लग रहा था कि के मंचन वह कर रहे है और उनका रिमोट कही और हो| वह तो भला हो प्रशासन का जो समय रहते सब सँभाल लिया नही तो अराजकता की आग में ना जानें कितनों को झुलसना होता| पूरे मामले की पट कथा लिखनें वाला गुरु कौन है ? इस रहस्य से अब पुलिस को अब पर्दा उठाना है|
दरअसल संकिसा के विवादित स्तूप पर पिछले 40 वर्षों से स्वामित्व को लेकर कोर्ट में मामला विचाराधीन है| लिहाजा जिस दिन बौद्ध महोत्सव होता है उस दिन पुलिस फोर्स भी किसी अप्रिय घटना को रोंकनें के लिए लगायी जाती है|यात्रा वाले दिन एक दूसरे समुदाय के लोगों को दूसरे के क्षेत्र के जानें पर प्रशासन का प्रतिबन्ध रहता है| लेकिन उसके बाद भी बुधवार को पुलिस की कड़ी सुरक्षा भेदकर ऊँचे टीले पर अराजकतत्व कैसे चढ़ गये यह जाँच का विषय है| जब अराजक त्तत्व टीले पर बिना अनुमति चढ़ रहे थे तो पुलिस नें उन्हें रोंका क्यों नही| पुलिस और प्रशासन अब सबालों का जबाब तलाशनें में लगा है| वहीं कुछ लोग पीएम मोदी व सीएम योगी मुर्दाबाद के नारे भी लगा राजनैतिक रोटी भी सेकनें में लगे दिखे|