फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) जिले में राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरुकता सप्ताह शुरु हो गया, जो 26 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में हुई बैठक में डिमेंशिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
सीएमओ डॉ .सतीश चंद्रा ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई तरह की बीमारियां शरीर में पनपने लगती हैं, इन्हीं में से एक बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदत (अल्जाइमर्स -डिमेंशिया) है। इस बीमारी से जूझ रहे बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सही समय पर इसकी पहचान कर उपचार कराया जाए तो इसे रोका जा सकता है। इस बीमारी की जद में आने से बचाने के लिए हर साल सितंबर में विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. दलवीर सिंह ने बताया कि 20 से 26 सितंबर तक चलने वाले राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह के तहत जनपद में विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये इस बीमारी की सही पहचान और उससे बचाव के उपायों के बारे में जागरुक किया जाएगा।
डॉ. सिंह ने बताया कि बुजुर्गों को डिमेंशिया से बचाने के लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्य उनके प्रति अपनापन रखें। अकेलापन न महसूस होने दें, समय निकालकर उनसे बातें करें, उनकी बातों को नजरंदाज बिल्कुल न करें बल्कि उनको ध्यान से सुनें । अमूमन 65 साल की उम्र के बाद लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है या यूँ कहें कि नौकरी-पेशा से सेवानिवृत्ति के बाद यह समस्या पैदा होती है ।
इसके लिए जरूरी है कि जैसे ही इसके लक्षण नजर आएं तो जल्दी से जल्दी चिकित्सक से परामर्श करें ताकि समय रहते उनको उस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सके ।
डिमेंशिया के लक्षण :
-रोजमर्रा की चीजों को भूल जाना, व्यवहार में परिवर्तन आना, रोज घटने वाली घटनाओं को भूल जाना, दैनिक कार्य न कर पाना आदि इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं । इसके चलते बातचीत करने में दिक्कत आती है या किसी भी विषय में प्रतिक्रिया देने में विलम्ब होता है। डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रोल, सिर की चोट, ब्रेन स्ट्रोक, एनीमिया और कुपोषण के अलावा नशे की लत होने के चलते भी इस बीमारी के चपेट में आने की सम्भावना रहती है।
जागरूक बनें, डिमेंशिया दूर करें :
इस भूलने की बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से अपने को स्वस्थ रखें। नकारात्मक विचारों को मन पर प्रभावी न होने दें और सकारात्मक विचारों से मन को प्रसन्न बनाएं। पसंद का संगीत सुनने, गाना गाने, खाना बनाने, बागवानी करने, खेलकूद आदि जिसमें सबसे अधिक रुचि हो, उसमें मन लगायें तो यह बीमारी नहीं घेर सकती। इसके अलावा नियमित रूप से व्यायाम और योगा को अपनाकर इससे बचा जा सकता है। दिनचर्या को नियमित रखें क्योंकि अनियमित दिनचर्या इस बीमारी को बढ़ाती है । धूम्रपान और शराब से पूरी तरह से दूरी बनाना ही हित में रहेगा । यदि डायबिटीज या कोलेस्ट्रोल जैसी बीमारी है तो उसको नियंत्रित रखने की कोशिश करें ।
जिन बुजुर्गों को डिमेंशिया की समस्या है, उनके परिवार के सदस्यों को उनसे नम्र व्यवहार करना चाहिए। उनसे बच्चों की तरह व्यवहार करें। इसमें जिस तरह से याददाश्त जाती है, वैसे ही वापस भी आ सकती है। इस सम्बन्ध में वयोवृद्ध और समाजसेवी अरुण प्रकाश तिवारी उर्फ़ ददुआ का कहना है जब मनुष्य बूढा हो जाता है, तब उसको सहारे की जरुरत होती है| बच्चे अपने काम में इतने व्यस्त हो जाते हैं | उनको अपने माता पिता का ध्यान नहीं होता है, इस दौरान ही वह इस बीमारी का शिकार हो जाता है | ददुआ ने कहा कि इस आधुनिकता के दौर में बच्चों को अपने माता पिता का ध्यान रखना चाहिए वो बरगद के वृक्ष की तरह हैं जो शीतलता प्रदान करेंगे |