फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश चंद्रा ने जिला मलेरिया कार्यालय से फायलेरिया रोगियों को फाइलेरिया किट का वितरण किया। इस दौरान लगभग 48 फायलेरिया रोगी मौजूद थे| इन्हें किट के रूप में फंगस क्रीम, तौलिया, साबुन, मग-बाल्टी आदि दी गई।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ या पैर में बहुत ही ज़्यादा सूजन हो जाती है । इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। जिन व्यक्तियों के अंदर माइक्रो फायलेरिया के कीटाणु रहते है, उन्हें दवा सेवन करने पर कुछ प्रभाव जैसे- जी मचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना, चक्कर आना आदि हो सकता है। इससे घबराना नहीं चाहिए |
सीएमओ ने कहा कि जब भी फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चले और आपके घर पर टीम आये तो उससे दवा लेकर खानी है फेंकनी नहीं है| यह दवा फाइलेरिया रोग से आपको बचा सकती है |जिसको एक बार यह हो जाता है, उसका कोई भी इलाज नहीं है |
जिला मलेरिया अधिकारी सुजाता ठाकुर (डीएमओ) ने बताया कि इस किट का वितरण सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से भी किया जायेगा जिस किसी को इस रोग की शिकायत हो वह सम्बंधित सीएचसी पर जाकर इस किट को प्राप्त कर सकता है | जब भी किट लेने आयें अपना आधार कार्ड साथ लेकर आयें |
साथ ही कहा कि इस समय लगभग 1243 लोग फाइलेरिया से ग्रसित हैं | साथ ही कहा कि इस रोग से ग्रसित लोगों को अपनी साफ़ सफाई रखनी चाहिए और अगर पैरों में सूजन है |तो पैरों के नीचे तकिया लगा कर रखें पैरों को अधिक देर तक लटकाएं नहीं | साथ ही कहा कि हाइड्रोसील से ग्रसित मरीज भी फाइलेरिया के अंतर्गत आते हैं वह अपना आपरेशन डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में मुफ्त करा सकते हैं |
साथ ही कहा कि यह बीमारी क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलती है, इस मच्छर के पनपने में मल, नालियों और गड्ढों का गंदा पानी मददगार होता है , इस मच्छर के लार्वा पानी में टेढ़े होकर तैरते रहते हैं। क्यूलैक्स मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो वह फाइलेरिया के छोटे कृमि का लार्वा उसके अंदर पहुँचा देता है। संक्रमण पैदा करने वाले लार्वा के रुप में इनका विकास 10 से 15 दिनों के अंदर होता है। इस अवस्था में मच्छर बीमारी पैदा करने वाला होता है। इस तरह यह चक्र चलता रहता है।
फाइलेरिया के लक्षण
1. एक या दोनों हाथ व पैरों में (ज़्यादातर पैरों में) सूजन
2. कॅपकॅपी के साथ बुखार आना
3. गले में सूजन आना
4. गुप्तांग एवं जॉघो के बीच गिल्टी होना तथा दर्द रहना
5. पुरूषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसिल) होना
6. पैरों व हाथों की लसिका वाहिकाएं लाल हो जाती हैं|
बहोरिकपुर ब्लॉक कमालगंज के रहने वाले 17 वर्षीय प्रशांत कुमार कहते हैं कि मुझे पिछले साल फाइलेरिया की शिकायत हुई थी | काफी निजी चिकित्सकों से इलाज कराया पर कोई फायदा नहीं मिला | तब जाकर मलेरिया कार्यालय से मुझे दवा मिली थोडा आराम है| पहले से पैरों की सूजन कम हुई है |लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं है कोई भी काम करता हूँ तो पैर में सूजन आ जाती है | अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमेश चन्द्र, डीपीएम कंचन बाला, मलेरिया इंस्पेक्टर नरजीत , अशोक यादव, संगीता आदि रहे |