फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) बेशक प्रतिवर्ष 26 जून 2020 को पूरी दुनिया में अंतराष्टरीय नशा निषेध दिवस मनाया जा रहा है, मगर हर साल औपचारिकता ही निभाई जाती है। संकल्प लिया जाता है, दावे किए जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीतियां बनाई जाती हैं। मगर धरातल पर कुछ नहीं होता। नशे के सेवन को रोकने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। नशा एक धीमा जहर है।आज बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक नशें के गुलाम बन चुके हैं। नशा आज स्टेटस सिबंल बन चुका है। कैसी विडंबना है कि मानव को नशें से होने वाली बीमारियों का पता है फिर भी खुद ही मौत को दावत दी जाती है। पुरुष तो नशा करते ही हैं मगर आज महिलाए भी नशें की गिरफत में आ चुकी हैं। दर्जनों प्रकार के नशों को करती हैं।
शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय नशा एवं अवैध तस्करी निषेध दिवस परजिले की आबकारी टीम नें संदिग्ध ग्रामों अड्डों व अन्य जगहों पर नशा एवं अवैध तस्करी के निषेध हेतु एक जन जागरूकता अभियान चलाया गया| शहर के गिहार बस्ती लकूला में भी टीम नें लोगों को पर्चे वितरित कर जागरूक किया| लोगों को नशे से होने वाली हानि से अवगत कराते हुए अवैध तस्करी से दूर रहने के लिए प्रेरित कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होनें की सलाह दी|
जिला आबकारी अधिकारी राजेश प्रसाद,आबकारी निरीक्षक नीरज तिवारी ,आबकारी निरीक्षक संजय कुमार गुप्ता व आबकारी निरीक्षक शरद कुमार आदि रहे|
अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस का इतिहास
प्राचीन काल में भी नशे का सेवन किया जाता था। उस समय इसे ‘सोमरस’ कहा जाता था। हालांकि, इसका उद्देश्य समाज को दूषित करना कतई नहीं था, लेकिन आधुनिक समय में नशा की परिभाषा ही बदल गई है। लोग कई प्रकार के नशा करने लगे हैं, जिनमें शराब, ड्रग्स और हेरोइन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त भी कई प्रकार के नशा हैं। बच्चे भी नशे की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इससे आने वाली पीढ़ी पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही खपत अधिक होने से अवैध तस्करी भी जमकर हो रही है। इसके मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र ने 1987 में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें समाज को नशा मुक्त करने की बात थी। इसे सभी देशों की सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। इसके बाद 26 जून, 1987 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया गया और फिर हर साल 26 जून को मनाया जाने लगा।
अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस का महत्व
इस दिवस का मुख्य दिवस बच्चे-बड़े सभी को नशे से छुटकारा दिलाना है। साथ ही नशा तस्करी पर भी लगाम कसना है, ताकि बच्चों का भविष्य अंधकारमय होने की बजाय उज्ज्वल और स्वर्णिम रहे। इस दिन दुनियाभर के सभी देशों में नशीली दवाओं और ड्रग्स के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जाता है। भारत में भी इसके खिलाफ सख्त कानून बने हैं। हालांकि, इस पर पूरी तरह से नकेल कसने की जरूरत है। सामाजिक सशक्तिकरण और समाज को नशा मुक्त करने के लिए और भी सख्त कदम उठाने की जरूरत है।