फर्रुखाबाद:(राजेपुर संवाददाता)पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण बरगद पेड़ मनुष्य और जीव-जंतु के जीवन का आधार है। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि यह अकाल के समय भी जीवित रहता है। धार्मिक, आध्यात्मिक व वैज्ञानिक दृष्टि से पवित्र बरगद का पेड़ जीवन रक्षक भी है। इसे ऑक्सीजन का खजाना कहा जाता है। बरगद के पेड़ की प्रत्येक पत्तियां ऑक्सीजन बनाती हैं। इस पेड़ में जितनी ज्यादा पत्तियां होगी वह उतनी ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करेगी। इसके छांव में ज्यादा समय तक रहने से दैहिक, दैविक और भौतिक लाभ मिलता है। देश में फैली कोरोना महामारी से लड़नें के लिए शुद्ध आक्सीजन की अवश्यकता है| जिसके चलते सरकार का लगातार ध्यान वृक्षारोपण की तरफ चल रहा है| जगह-जगह पौधारोपण किया जा रहा है| लेकिन कस्बे में वह हुआ जिसका किसी को अंदाजा नही था| सुबह वट साबित्री का पूजन कर सुहागिनों नें जिस बरगद के पेंड को देवता मानकर पूजा अर्चना की थी| उसी को बिना अनुमति के काट कर जमीन पर फेंक दिया गया| लेकिन वन विभाग को इसकी भनक तक नही लगी|
दरअसल कस्बे में थाने से महज चंद कदम दूर कृषि रक्षा इकाई केंद्र की भूमि पर वर्षों पुराना विशाल बरगद और एक नीम का पेड़ खड़ा था| सुबह सुहागिनों नें वट-साबित्री व्रत पर उसकी पूजा अर्चना की| लेकिन कुछ देर बाद ही ठेकेदार के माध्यम से कुछ ही देर में विशाल पेड़ काटकर गिरा दिये गये| लेकिन जिम्मेदारों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास तक नही हुआ|
कृषि रक्षा इकाई इंचार्ज फूल चंद्र पाल ने बताया की पेड़ आज ही काटे गए हैं यहां पर सरकारी जमीन पर भवन बनना है
वन क्षेत्राधिकारी उदय प्रताप सिंह ने बताया कि पेड़ काटे जाने की अनुमति नही थी| उनके संज्ञान में भी मामला नही है| जाँच कर कार्यवाही अमल में लायी जायेगी|