कोरोना के साथ ही बढने लगा ब्लैक फंगस का खतरा

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लखनऊ: कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे उत्तर प्रदेश के लोगों पर अब ब्लैक फंगल इंफेक्शन ने भी हमला कर दिया है। प्रदेश में मेरठ, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर और लखनऊ के साथ ही बरेली के लोग भी इसकी चपेट में हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण से उबर चुके लोगों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। ऐसे में शुगर के मरीजों पर एक नया खतरा हमला कर रहा है। उत्तर प्रदेश में बीते 24 घंटे में ब्लैक फंगल इंफेक्शन के मामले काफी बढ़े हैं। इसकी दस्तक ने स्वास्थ विभाग के सामने एक और चुनौती खड़ी कर दी है। ब्लैक फंगल इंफेक्शन के मामले लखनऊ, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर व बरेली समेत कई जिलों में सामने आए हैं। कानपुर में सर्वाधिक 12, लखनऊ में आठ, गोरखपुर में छह, मेरठ व बरेली में दो-दो और वाराणसी व गाजियाबाद में एक- एक लोगों पर इसका गहरा असर देखा गया है।
मेरठ और लखनऊ में ब्लैक फंगन इंफेक्शन से प्रभावित लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया है। बरेली के रामपुर गार्डन क्षेत्र में ब्लैक फंगल इंफेक्शन के दो मामले मिले हैं। इसके बाद दोनों प्रभावित के सैम्पल को टेस्ट के लिए हायर सेंटर भेजा गया है। बरेली में पहली बार ब्लैक फंगल इंफेक्शन के मामले मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर है। दोनों प्रभावितों को अलग ही रखा गया है और इनके ऊपर डॉक्टर्स की निगाह है।
गोरखपुर में भी ब्लैक फंगस से छह संक्रमित: कोरोना संक्रमण के बीच गोरखपुर में भी म्यूकारमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है। 35 से 50 वर्ष के छह लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं।
वाराणसी में निकाला गया आधा चेहरा: वाराणसी में ब्लैक फंगल इंफेक्शन प्रभावित 52 वर्षीया महिला का ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया। इनका काला पड़ चुका आधा चेहरा निकाल जान बचाई गई। इनका अगर फौरन आपरेशन नहीं होता तो ब्लैक फंगस से 52 वर्षीय महिला की मौत हो सकती थी। बीएचयू में ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस से पीडि़त महिला का आपरेशन किया गया। 52 वर्षीय महिला कोरोना संक्रमित भी हैं। आमतौर पर ब्लैक फंगस कोरोना से उबर चुके लोगों में पाया जा रहा है। यह पहला मामला है जिसमें कोविड मरीज इस बीमारी से पीडि़त पाई गई।
बीएचयू में ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुशील कुमार अग्रवाल ने अपनी टीम डॉ. शिल्की, डॉ. अक्षत, डॉ. रामराज और डॉ. रजत के साथ छह घंटे का सफल आपरेशन किया। आपरेशन के बाद महिला को कोविड वार्ड के आइसीयू में शिफ्ट कर दिया गया है। कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें एंटी फंगल दवाएं दी जाएंगी। महिला की जान बचाने के लिए उनका जबड़ा और एक आंख समेत चेहरे का आधा हिस्सा निकाल दिया गया है। भोजन के लिए नली लगाई गई है, जिससे जीवनरक्षक दवाएं भी दी जा रही हैं। सांस लेने के लिए गले में ट्यूब डाली गई है। महिला के स्वजन ने बताया कि उन्हें कई दिनों से चेहरे पर सूजन की शिकायत थी। साथ ही हाई डायबिटीज, थायरायड, दिल की बीमारी समेत कई अन्य समस्याएं थीं। उनके चेहरे का बायां हिस्सा फंगस की चपेट में आकर पूरी तरह काला हो चुका था।
छह माह लगाया जाएगा आर्टिफिशयल चेहरा : डॉ. अग्रवाल ने बताया कि छह माह बाद जब फंगल इंफेक्शन पूरी तरह खत्म हो जाएगा, इसके बाद इनको सिलिकॉन का आर्टिफिशियल चेहरा, जबड़ा और पत्थर की आंख लगाई जाएगी।
उत्तर प्रदेश के लोग सहमे: कोरोना वायरस संक्रमण के बीच में उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगल इंफेक्शन यानी म्यूकारमायकोसिस की दस्तक से लोग काफी सहम गए हैं। यह आंख के साथ चेहरे के एक हिस्से को प्रभावित कर रहा है। इससे प्रभावितों लोगों का इलाज कर रहे चिकित्सकों के सामने उस अंग को हटाने के अलावा कोई चारा नहीं है।
क्या हैं लक्षण: ब्लैक फंगल इंफेक्शन से प्रभावित लोगों की आंख में दर्द और लालीपन या नाक में दर्द के साथ बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में दिक्कत, खून की उल्टी तथा मानसिक स्थिति ठीक न होना जैसे लक्षण दिखते हैं।
क्या है ब्लैक फंगल इंफेक्शन: ब्लैक फंगल इंफेक्शन को मेडिकल साइंस की भाषा में म्यूकारमायकोसिस कहा जाता है। ब्लैक फंगस इंफेक्शन का लक्षण मुख्यता फेफड़े में होता है। इससे ग्रस्त रोगियों में आंखों के आसपास सूजन आ जाती है। सांस लेने में तकलीफ होने की समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा खांसी, बुखार, उल्टी होना और पेट में दर्द जैसी शिकायतें भी इसके लक्षण में आते हैं। स्किन में इंफेक्शन होने पर कालापन आ जाता है। यह फंगस रोगियों के दिमाग पर भी गहरा असर डालता है।
ऐसे में अगर ये लक्षण दिखते हैं तो तुरंत इसका इलाज कराएं। कोरोना वायरस संक्रमण के बाद इम्युनिटी कमजोर होने पर यह ब्लैक फंगस तेजी से शरीर को जकड़ता है। इसका सर्वाधिक असर उनपर दिख रहा है, जिनका शुगर लेवल काफी बढ़ गया है। ऐसे में लोगों को बचाव के लिए अपनी डायबिटीज कंट्रोल करने की जरूरत है। साथ ही कोविड के संक्रमित लम्बे समय तक स्टेयोराइड लेने से बचें।