तापबढ़े तो घबराएं नही, जानें किस स्थिति में पड़ती है अस्पताल की जरूरत

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डेस्क: वैश्विक महामारी के प्रकोप के चलते सैकड़ों परिवार परेशान हैं। कोविड प्रोटोकॉल की जानकारी का अभाव और घबराहट के चलते तबीयत खराब होने पर अस्पताल के स्थान पर घरों पर ही प्राथमिक उपचार देकर मरीज को दुरुस्त किया जा सकता है।
उर्सला अस्पताल के सीएमएस डॉ. अनिल निगम के मुताबिक संक्रमण के इस दौर में सीधे अस्पताल जाने के स्थान पर अपनी स्थिति का आकलन करना चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक 95 फीसद संक्रमित स्वयं ही घरों में ठीक हो रहे हैं। संक्रमित होने की अवस्था में लगातार डॉक्टरों के संपर्क में जरूर रहें। मानसिक रूप से मजबूत रहकर कोरोना के खिलाफ जंग में जीत हासिल की जा सकती है।
अगर हल्के लक्षण दिख रहे हैं तो घर में रहें आइसोलेट
बुखार अधिक न हो और कोविड के लक्षण हल्के हों।
शारीरिक दूरी व मास्क को अनिवार्य रूप से प्रयोग करते रहें।
आइसोलेशन की जरूरी दवाएं, मल्टीविटामिन और पानी पीते रहें।
शरीर का तापमान और ऑक्सीजन का स्तर जांचते रहें।
अगर सांस लेने में परेशानी और तेज बुखार हो तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
ऑक्सीजन का स्तर 90 से नीचे हो तो अस्पताल की जरूरत पड़ सकती है।
मरीज को समय-समय पर ऑक्सीजन थेरेपी दी जाए।
अस्पताल में भर्ती मरीज को डॉक्टरों की सलाह पर ही रेमडेसिविर दी जाए। घर पर आइसोलेट मरीज बिना परामर्श इसका उपयोग कतई न करें।
कब पड़ेगी आइसीयू की जरूरत
सांस लेने की दर प्रति मिनट 30 से अधिक हो और ऑक्सीजन का स्तर 90 से कम हो रहा हो।
उम्रदराज लोग जो किसी बीमारी से ग्रसित हों और उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा हो।
वेंटिलेटर का उपयोग मरीज की गंभीर स्थिति में ही किया जाए। रिपोर्ट के दुरुस्त आने पर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाए।
इन चार बातों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए
कोविड संक्रमित का ऑक्सीजन स्तर लगातार देखते रहें। 90 से कम होने की दशा पर अस्पताल जरूर लेकर जाएं
सभी मरीजों को रेमडेसिविर प्लाज्मा, आइवरमेक्टिन, ब्लड थिनर्स की जरूरत नहीं पड़ती है।
बेड, ऑक्सीजन सिलिंडर और आइसीयू उन मरीजों के लिए हैं, जिनमें कोविड के गंभीर लक्षण हैं।
वैक्सीनेशन पर जोर दें। ज्यादातर लोगों के टीकाकरण से अस्पताल का बोझ कम होगा।
इनका ये है कहना बिना चिकित्सक की सलाह के रेमडेसिविर का उपयोग घातक हो सकता है। संक्रमण के समय मानसिक रूप से मजबूत होकर इस जंग को जीत सकते हैं। मन में संक्रमण के डर को पालने से सही होने की गति बहुत धीमी रहती है। अधिक से अधिक लोग वैक्सीनेशन कराएं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। इससे संक्रमित होने की संभावना कम रहेगी। – डॉ. सपन गुप्ता, मेडिकल ऑफिसर उर्सला अस्पताल।