धर्म का अर्थ चित की सरलता, मन की निर्मलता व हृदय की पवित्रता

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फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) गुवाहटी असम से परिवर्तन यात्रा को असोम से झारखंड के समवेत शिखर तक के लिए लेकर निकले जैन मुनि प्रसन्न सागर  महाराज शनिवार को नगर में पंहुचे| उन्होंने यहाँ प्रवचन में लोगों को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया| उन्होंने कहा कि हमे अपनों का भला ना सोंचकर सभी का भला सोचना चाहिए| जिससे भाईचारा बढ़ेगा|
शहर के स्वराज कुटीर में आयोजित प्रवचन में मुनि प्रसन्न सागर महाराज नें भक्तों को सत्य और अहिसा के रास्ते पर चलने की सीख दी। साथ ही महाभारत काल में हुए घटनाक्रम का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि अपना भला सोचे वो दुर्योधन है, जो अपनों का भला सोचे वह युधिष्टर है, जो सबका भला सोचे वह नारायण परमात्मा है। इसलिए हमें खुद तय करना है कि हम क्या बनना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि संत ने कहा धर्म से आशय चित की सरलता, मन की निर्मलता व हृदय की पवित्रता से हैं। कोई भी धर्म अहिंसा व सत्य के पथ पर बढ़ना सिखाता है। सभी महापुरुषों ने भी यही सीख दी है। वर्तमान समय में समाज में भाईचारा कम होता जा रहा है। इसलिए हम धर्म व सद्भाव की अलख जगाने निकले हैं। उनके प्रवचन से भक्त मंत्रमुग्ध हो गये| उन्होंने कहाकि संत की यात्रा मंदिर से चलकर मोक्ष तक पहुंचती है, जबकि गृहस्थ की यात्रा घर से शुरू होकर श्मशान घाट तक पहुंचती है। मुनि पियूष सागर जी महाराज ने कहा कि बाबा रामदेव ने योग के जरिए लोगों को सुबह जगाने का काम किया।
इस दौरान हल्लक सागर जी महाराज, सपा के एमएलसी पुष्पराज जैन ‘पंपी’, प्रमोद जैन, दिलीप जैन, विक्रांत जैन, डॉ० नेमशरण जैन, राहुल जैन, पंकज जैन, साधना जैन, सुशीला जैन आदि रहे|