जनवरी से मार्च 2021 तक नहीं बजेगी शहनाई, नववर्ष में केबल कुल 50 मुहूर्त

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डेस्क: कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच वैवाहिक आयोजन भी थम चुके थे, इनलॉक और सहालग शुरू होने के बाद मुहूर्त भी काफी कम बचे हैं। नवंबर 2020 में पहला मुहूर्त 25 नवंबर का बीत चुका है अब 30 नवंबर को ही अगली तिथि इस माह में शेष है। अब दिसंबर माह में कुल पांच ही मुहूर्त शेष बजे हैं। जबकि इसके बाद मार्च 2021 तक शादियों का कोई भी मुहूर्त न होने की वजह से बैंड बाजा और बरात के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र  ने को बताया कि नवंबर माह में सिर्फ दो ही विवाह के मुहूर्त थे जिसमें एक तिथि बीत चुकी है। वहीं अब अगले साथ ही अगले साल मार्च तक कोई मुहूर्त नहीं है। इसके बाद  मई 2021 में सबसे ज्यादा 15 दिन शादियां हो सकेंगी। देवउठनी एकादशी 25 नवंबर को मनाई गई। इस दिन से विवाह और दूसरे मांगलिक कामों का सिलसिला शुरू हो चुका है। लोक परंपरा में इस एकादशी को अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है, इसलिए इस दिन हर तरह के शुभ काम हो सकते हैं।
नवंबर में विवाह के लिए देवउठनी एकादशी को मिलाकर सिर्फ दो ही दिन मुहूर्त थे जिसमें अब सिर्फ 30 नवंबर की तिथि शेष है। वहीं, दिसंबर में विवाह के लिए पांच मुहूर्त रहेंगे। 11 दिसंबर साल का आखिरी शादी काा मुहूर्त होगा। वहीं, अगले साल भी विवाह की धूम आधा अप्रैल गुजरने के बाद ही शुरू होगी। जनवरी से मार्च 2021 तक विवाह का सिर्फ एक भी मुहूर्त नहींं है, लिहाजा अब 22 अप्रैल से शुभ दिन विवाह के शुरू होंगे।
अबूझ मुहूर्त की मान्‍यता
देव प्रबोधिनी एकादशी पर मान्यता है कि इस दिन किया गया विवाह कभी नहीं टूटता और दांपत्य सुख भी हमेशा बना रहता है। इसके अलावा अक्षय तृतीया और वसंत पंचमी को भी अबूझ मुहूर्त मानते हुए शादियां की जाती हैं।
इस वर्ष 26 दिन ही हो पाए विवाह
कोरोना वायरस की चुनौतियों के साथ इस वर्ष जनवरी से मार्च तक होली से पहले कुल 19 दिन मुहूर्त थे। फिर 15 मार्च से खरमास शुरू हो गया और लॉकडाउन में अप्रैल से जून तक कुल 23 मुहूर्त यूं ही निकल गए। फिर चातुर्मास के दौरान जुलाई से 24 नवंबर तक विवाह नहीं हो सके। अब देवउठनी एकादशी से 11 दिसंबर तक कुल सात दिन ही हिंदू परंपरा में विवाह के मुहूर्त शेष हैं।
वर्ष 2021 में 50 मुहूर्त
वर्ष 2021 में विवाह के लिए 50 दिन मिल रहे हैं। ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र  ने बताया कि बृहस्पति और शुक्र ग्रह के कारण साल के शुरुआती महीनों में विवाह की तिथि नहीं है। मकर संक्रांति के बाद 19 जनवरी से 16 फरवरी तक गुरु अस्त का मान रहेगा। इसके बाद 16 फरवरी से शुक्र 17 अप्रैल तक अस्त रहेगा। इस कारण विवाह का पहला मुहूर्त 22 अप्रैल को पड़ेगा। इसके बाद देवशयन से पूर्व 15 जुलाई तक 37 दिन ही विवाह के मुहूर्त बचे हैंं। 15 नवंबर 2021 को देवउठनी एकादशी से 13 दिसंबर तक विवाह के लिए कुल 13 दिन और मिलेंगे।
वसंत पंचमी पर भी मूहूर्त नहीं
वर्ष 2021 में 16 फरवरी को वसंत पंचमी पड़ रही है। इसे भी विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है लेकिन इस दिन सूर्योदय के साथ ही शुक्र भी अस्त हो जाएगा। इस कारण हिंदू परंपरा में इसे विवाह मुहूर्त में नहीं गिना गया है।