फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) पुरखों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए एक पखवाड़े तक चलने वाला पितृपक्ष बुधवार से शुरू हो गया। कोरोना काल के बाद भी पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगाघाटों पर पहुंचकर सपरिवार गंगा स्नान कर जलदान करके पितरों का तर्पण किया।
शहर कोतवाली क्षेत्र के पांचाल घाट पर बुधवार को लोगों ने विधिविधान से श्राद्ध पूजा आयोजित की। ब्राह्मणों एवं साधुओं को भोज कराया दान दक्षिणा दी। घाट पर विद्वान आचार्यों ने वैदिक रीति रिवाज से सामूहिक जलदान तर्पण कर्मकांड व श्राद्ध कर्म संपन्न कराया। दुर्वाशा ऋषि आश्रम के सामने घाट पर आचार्य प्रदीप शुक्ला आदि ने जल तर्पण कराया। पुरोहितों ने आने वाले श्रद्धालुओं से पिंडदान व तर्पण क्रिया कराया। श्रद्धालुओं ने मंदिरों में दर्शन कर अपने परिवार की खुशहाली की कामना की। गंगा घाट पर दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। श्राद्ध पक्ष पर गंगा स्थान को पहुंची श्रद्धालु की भीड़ का का आलम यह था कि श्रद्धालु सड़क मार्ग पर गंगा की ओर आने जाने वाले वाहनों में ठसाठस यात्री भरे हुए नजर आ रहे थे।
आचार्य सर्वेश शुक्ल नें बताया कि श्राद्ध पर्व पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का एक उपागम है। यह हमारी अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। यह मात्र कर्मकांड नहीं है। गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कृतज्ञता व्यक्त करने से विश्वास व श्रद्धा हमें उत्साह व आनंद देती है। हम संकटों से मुक्त होकर नई ऊर्जा से काम करने लगते हैं। श्राद्ध इसी ऊर्जा को पाने का पर्व है।
आचार्य प्रदीप शुक्ल नें बताया कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वजों की आत्मा हमारे निवास स्थल पर आती है। श्रद्धा से उनका अन्न, प्रसाद या तर्पण से स्वागत करना, उन्हें परम तृष्टि देना उनके प्रति अपनी श्रद्धा है। वह आशीर्वाद में हमें अपनी उन्नति, वैभव-समृद्धि और परिवार में शांति और भाईचारे की समरसता बनी रहने का प्रसाद देते हैं।
गंगा घाटों पर मिट्टी से परेशानी
तर्पण करने के लिए गंगा घाटों पर लोगों की भीड़ रही लेकिन बाढ़ की मिट्टी जमी है। इसकी सफाई नहीं हो पाई है। ऐसे में लोगों को दिक्कतों का समना करना पड़ा। इससे स्नानार्थियों को ही दुश्वारी अधिक झेलनी पड़ी।