फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला) एक जमाना था जब भारत ही नहीं दुनिया भर में साइकिल का बोलबाला था, धीरे-धीरे इनकी जगह स्कूटर-मोटरसाइकिल और अब कारों ने ले ली, मगर जगह तो ले ली पर साथ ही धरती पर इंसानों के बचने की जगह कम हो गई, कसरत के आभाव में इंसान सुविधा भोगी हो गया, परिणामस्वरुप उसे तरह-तरह की बीमारियों ने घेर लिया। ये सुनने में आपको हैरानी होगी कि अब दुनिया के अधिकांश डॉक्टर रोगियों को आधा घंटा साइकिल चलाने की नसीहत पर्ची पर लिखकर देने लगे है ताकि उनकी शारीरिक क्षमता बनी रहे और दवाइयों के कुप्रभाव न आये।
भारत में 1947 के बाद साइकिल का दौर आ गया। यह साइकिल शहर की सड़कों से लेकर गांव की पगडंडियों तक दौडऩे लगी। सरल, किफायती और पर्यावरण के लिए मुफीद साइकिल दुनिया में छाई तो इसकी महत्ता बढ़ गई| मोटर साइकिलों, कारो की बढ़ती भीड़ की चकाचौंध में बीते कुछ दशक से साइकिल बेचारी हो गई। लेकिन साइकिल जीवन से बाहर नहीं हुई और वह गाँवों से लेकर शहरों तक बहुत बड़ी आबादी की महत्वपूर्ण सवारी बनी रही। साइकिल पर दुल्हन की विदाई भी होती रही और माँ-बप्पा इलाज के लिए अस्पताल भी ले जाए जाते रहे। खेतों के बीच पगडंडियों पर वह घास-लकड़ी-राशन-पानी ढोने से लेकर आगे डण्डे पर बँधी नन्हीं गद्दी पर बच्चों की किलकारियाँ भी सुनाती रही। दूध के भारी कैन लादने हों तो दो डण्डों वाली मजबूत साइकिल हाजिर।
अब लगता है कि साइकिल फिर से लोगों का शौक बन रही है| कार व बाइक पर सफर करने वाले लोग भी अब साइकिल कि सबारी करने में अपनी शान समझने लगे है| बड़े-बड़े घरों में आलीशान कारों के बीच भी एक अदद साइकिल अकड़ के साथ खड़ी मिल रही है|
प्रतिदिन सुबह सैकड़ो लोग साइकिल से अपने शहरी के रक्तचाप को दुरस्त करने के लिए चलाते मिलते है| लाखों लोग साइकिल पर 1000-1500 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने घर पहुंचे। लॉक डाउन के समय संकट के समय साइकिल ही उनके घर पहुंचने का एकमात्र साधन बनी। तालाबंदी के दौरान लाखों लोगों के घर पहुंचने का सबसे उपयोगी साधन बनने से लोगों को यह बात अच्छी तरह समझ में आ गयी की साइकिल आज भी आम और खास लोगों का सबसे सस्ता व सुलभ साधन है। इसकी प्रासंगिकता हमेशा बरकरार रहेगी। रेलवे रोड़ निवासी नरेश वर्मा नें बताया कि उनके पास कार और तीन बाइक है| लेकिन साइकिल से शरीर में हल्का पन रहता है| वह तकरीबन 5 किमी प्रतिदिन साइकिल से चक्कर जरुर लगाते है| उनके साथ उनके कई साथी भी प्रतिदिन साइकिलिंग करते है|
उम्रदराज एक्सरसाइज के लिए खरीद रहे साइकिल
कोरोना संक्रमण के दौर में साइकिल का भी खूब क्रेज बढ़ा है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए व्यायाम के साथ लोग नियमित साइकिल चलाकर अपनी सेहत सुधार रहे हैं। इसके चलते इधर साइकिल की बिक्री भी बढ़ी है। शहर के नेहरु रोड पर साइकिल व्यापारी गोटा वाले कहते हैं कि साइकिल की बिक्री बढने के साथ ही शौकीन बढ़े हैं। स्कूली बच्चे आधुनिक साइकिल का प्रयोग कर रहे हैं। उम्रदराज एक्सरसाइज के लिए साइकिल खरीद रहे हैं। अब एकबार फिर साइकिल का क्रेज बढ़ा है। 60 से 70 प्रतिशत रेंजर साइकिल स्कूली बच्चों की पसंद है।
जिला क्रीडाधिकारी कर्णवीर पटेल नें जेएनआई को बताया कि बीते कुछ वर्षो से लोगों में साइकिल के प्रति जागरूकता आयी है| चाहे युवा हो या फिर उम्रदराज सभी साइकिलिंग करने में रूचि ले रहे है| जिससे साइकिल फिर एक बार जिंदगी का हिस्सा बन रही है| प्रतिदिन 5 से 7 किलोमीटर साइकिल चलाने से बेहतर व्यायाम होता है|