डीएम का निरीक्षणः भवन प्रभारी से रिकवरी के आदेश

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एबीएसए, शिक्षक व आंगनबाड़ी का वेतन रुका

फर्रुखाबाद, जिलाधिकारी रिग्जिन सैम्फेल गुरुवार को ब्लाक राजेपुर में निरीक्षण के दौरान बेसिक शिक्षा विभाग की खस्ताहाली से रू-ब-रू हुए। प्राथमिक विद्यालय खरगपुर में नदारद मिले शिक्षक, शिक्षा मित्र व आंगनबाड़ी का एक दिन का वेनत रोक दिया गया है। घटिया भवन निर्माण व मुख्य भवन की रंगाई पुताई न किये जाने में एबीएसए का वेतन रोका गया है,  व भवन प्रभारी से रिकवरी किये जाने के आदेश किये गये हैं। गंदे बदबूदार शौचालय देख कर डीएम ने प्रधान की भी क्लास लगायी।

बेसिक शिक्षा विभाग की दुर्दशा गुरुवार को डीएम रिग्जिन सैम्फेल ने विकास खंड राजेपुर के प्राथमिक विद्यालय खरगपुर में अपनी आंखों से देखी। यहां पहुचने पर विद्यालयक के अध्यापक रामवीर और उन्हीं के नामारासी रामवीर शाक्य नदारद मिले। विद्यालय प्रांगण में ही चलने वाले केंद्र की आंगनबाड़ी अनीता पांडेय भी गायब थीं। जाते ही जाते डीएम ने तीनों का बेतन काटने के आदेश कर दिये। स्कूल का शौचालय गंदा पड़ा था, ग्राम प्रधान की क्लास लगी और ग्राम पंचायत अधिकारी का वेतन रुक गया।  विद्यालय परिसर और यहां तक कि कक्षा कक्षों की भी हालत खराब थी। ऐसा साफ नजर आ रहा था कि मानों बर्षों से पुताई ही नहीं की गयी हो। जगह जगह पप्पड़ छूट रहे थे। बाल अधिकार तो लगभगभग मिट ही चुका लग रहा था। जिलाधिकारी ने विद्यालय की इस दुर्दशा के लिये एबीएसए नागेंद्र चौधरी को आड़े हाथों लिया तो छींटे साथ चल रहे बेसिक शिक्षा अधिकारी पर भी पड़। उन्होंने श्री चौधरी का वेतन रोकने के भी निर्देश दिये।

डीएम के दौरे का अगला पड़ाव नगला घाघ था। यहां पर अतिरिक्त कक्षा कक्षों के घटिया निर्माण को देख कर डीएम का पारा चढ़ गया। पूछने पर बीएसए डा. कौशल किशोर ने बताया कि भवन निर्माण कार्य अध्यापक राम हरी पाठ ने कराया है। जिलाधिकारी ने भवन निर्माण में गड़बड़ी का आंकलन कराने के उपरांत निर्माण प्रभारी से रिकवरी के आदेश दिये। इस अवसर पर उपलिधाकिरी अमृतपुर आरबी वर्मा, तहसीलदार एके सिंह चंद्रौल व स्टेनो फतेहचंद्र पाल भी साथ रहे।

विदित है कि जनपद में अधिकांश भवन निर्माण कार्य कुछ ही चुनिंदा शिक्षकों द्वारा परोक्ष या अपरोक्ष रूप से कराये गये है। कई निर्माण तो बेनामी प्रणाली से कराये जाते हैं। इन शिक्षकों की स्थिति विभाग में भवन निर्माण माफिया से भी अधिक मजबूत है। जाहिर है कि इसमें ब्लाक से लेकर जनपद स्तर तक के अधिकारी संलिप्त नहीं है, ऐसा मान पाना जरा मुश्किल है।