गणेश चतुर्थी पर कोरोना का ग्रहण, बाजार में बप्पा की बिक्री के लाले

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फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) कोरोना के संक्रमण ने पर्व-त्योहारों की रौनक गायब कर दी है। होली के बाद से अब तक पड़ने वाले सभी आयोजन डर के साये में गुजरे हैं। रामनवमी से लेकर जनमाष्टमी तक लोगों ने अपने घरों में ही समय गुजारा है। हालात कब तक ऐसे बने रहेंगे, कोई नहीं कह सकता। जन्माष्टमी के बाद अब गणेश, विश्वकर्मा फिर दुर्गा पूजा का आगमन होने वाला है। यह पर्व भी भय के माहौल में ही गुजरने वाला है। जन्माष्टमी के बाद मूर्तिवाले त्योहार आ रहे हैं। गणेश उत्सव पर इस बार कोरोना का असर साफ दिखाई देगा। मूर्तिकारों को अभी तक बड़ी प्रतिमा बनाने का कोई ऑर्डर नहीं मिला है। फिलहाल 100 रूपये से 1000 रूपये कीमत की मूर्तियां ही तैयार की जा रही हैं। मूर्तिकारों का कहना है कि ऐसा पहली बार हो रहा है, गणेश उत्सव सिर पर होने के बावजूद मूर्ति बनाने का ऑर्डर नहीं मिला है। जबकि पिछले साल गणेश उत्सव से चार महीने पहले ही मूर्तियां बनाने के ऑर्डर मिल गए थे। इस बार 22 अगस्त से गणेश उत्सव शुरू होगा। लेकिन ग्राहक गायब हैं| जिला प्रशासन के सख्त होंनें से भी दुकानदार सहमे हुए हैं|
मूर्तिकारों का कहना है कि कोरोना काल में बड़ा आयोजन होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। श्रद्धालु घरों में ही गणेश उत्सव मनाएंगे, इस लिहाज से वे छोटी मूर्तियां ही बिक्री के लिए लाये है| भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेश जी का उत्सव गणपति प्रतिमा की स्थापना कर उनकी पूजा से आरंभ होती है। इस बार 22 अगस्त से महोत्सव शुरू होगा। लगातार दस दिनों तक घर में रखकर अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई की जाती है। इस दिन ढोल नगाड़े बजाते हुए, नाचते गाते हुए गणेश प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है।
लेकिन इस बार कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए सरकार और शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन सख्त है| छोटी मूर्ति बेचने वाले भी डरे हुए है|
मिशन अस्पताल बढ़पुर के निकट मूर्ति की बिक्री कर रहे रामोतार नें बताया कि बीती रात को ही लखनऊ से एक ट्रक मूर्ति मंगायी थी| सुबह जैसे ही मूर्तियाँ बिक्री के लिए रखीं पुलिस नें टोंक दिया और बिक्री करने से भी मना कर दिया| जिससे उन्हें अब लाखों का नुकसान होगा| यही पर कुछ मूर्तिकार प्लास्टिक ऑफ पेरिस यानी पीओपी से मूर्ति निर्माण का काम करते हैं। मूर्तिकारों ने कुछ मूर्तियां बनाई हैं, पुरानी मूर्तियों को पाॅलिस कर नया जरूर किया जा रहा है, मगर आर्डर अभी तक नहीं मिले हैं।
धीरे-धीरे निकल जा रहे सारे पर्व
बढ़पुर फतेहगढ़-फर्रुखाबाद मुख्य मार्ग पर मूर्तियों का व्‍यवसाय करने वाले अबनीश और राजू ने बताया कि इस बार हमारे सामने बड़ी बुरी स्थिति है। कई लोगों का परिवार है। नवरात्र ऐसे ही निकल गई। अब गणेश उत्सव को लेकर भी अच्छी स्थिति नहीं दिख रही। हम लोग फूलदान, सुराही आदि की छोटी प्रतिमाएं व घर के सजावट के सामान बिक्री  रहे हैं, लेकिन इसकी भी बिक्री नहीं है।