लखनऊ:(जेएनआई ) अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर के भूमि पूजन के बीच में ही समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण कार्ड खेला है। पार्टी प्रदेश के सभी 75 जिलों में भगवान परशुराम की प्रतिमा लगाएगी। इससे पहले प्रदेश में 2003-2007 के बीच मुलायम सिंह यादव सरकार में परशुराम जयंती पर सरकारी छुट्टी भी की गई थी।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की निगाह प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर लग गई है। उन्होंने इसी कारण अब ब्राह्मण कार्ड खेला है। जिसके तहत समाजवादी पार्टी प्रदेश के हर जिला में भगवान परशुराम की प्रतिमा लगाएगी। इसमें भी लखनऊ में सबसे ऊंची यानी 108 फिट की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। लखनऊ में इसके साथ ही परमवीर चक्र विजेता मनोज पाण्डेय की भी विशाल प्रतिमा भी लगाई जाएगी। लखनऊ में भगवान श्री परशुराम की 108 फिट मूॢत लगवाने के साथ उनका भव्य मंदिर बनाया जाएगा। इसके साथ में बड़ा पार्क और उसमें एजुकेशनल रिसर्च सेंटर भी बनाया जाएगा।
हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ पार्टी के कुछ ब्राह्मण नेताओं की बैठक हुई है। बैठक के बाद फैसला लिया गया कि हर जिले में भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके लिए चंदा भी जुटाया जाएगा। माना जा रहा है समाजवादी पार्टी ने यह निर्णय विधानसभा चुनाव 2022 में ब्राह्मणों को लुभाने के लिए लिया है। इसको अखिलेश यादव का बड़ा सियासी मास्टरस्ट्रोक भी माना जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के सबके हैं राम के स्गलोन के बीच में सपा ने परशुराम पर दांव लगाया है।
प्रदेश के हर जिले में परशुराम चेतना पीठ ट्रस्ट परशुराम की प्रतिमा को बनवाने व लगवाने का काम करेगी। इसके लिए देश के बड़े मूर्तिकार अर्जुन प्रजापति और अटल जी की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार राजकुमार से भी बातचीत चल रही है। समाजवादी पार्टी का दावा है कि भगवान परशुराम की यह प्रतिमा उत्तर प्रदेश की सबसे ऊंची और भव्य प्रतिमा होगी।
अखिलेश यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अभिषेक मिश्रा और सुलतानपुर के लंभुआ से पार्टी के विधायक रहे संतोष पाण्डेय जयपुर में बन रही भगवान परशुराम की भव्य प्रतिमा के डिजाइन को फाइनल करने गए हैं। अभिषेक मिश्रा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। इनका दावा है कि अगर प्रदेश में सही मायनों में किसी ने ब्राह्मणों के सम्मान किया, तो वो समाजवादी पार्टी ही है। समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में ब्राह्मणों को सरकार में हिस्सेदारी के अलावा जनेश्वर मिश्रा के नाम पर एशिया का सबसे बड़ा पार्क भी मिला।
यूपी में ब्राह्मण वोट बैंक को लेकर चरम पर सियासत
उत्तर प्रदेश में इस समय ब्राह्मण वोट बैंक को लेकर सियासत चरम पर है। विपक्षी पाॢटयों का दावा है कि विकास दुबे एनकाउंटर और उसके बाद बदले सियासी माहौल में ब्राह्मण भाजपा से काफी नाराज चल रहे हैं। ऐसे में सूबे में करीब 10-12 फीसदी माने जाने वाले ब्राह्मण वोट बैंक पर हर किसी की नजर है।
समाजवादी पार्टी नेता तो यहां तक दावा कर रहे हैं कि ब्राह्मणों के सम्मान के लिए उनकी पार्टी हमेशा खड़ी रही है। इसके बाद भी ब्राह्मण वोट बैंक को रिझाकर मायावती ने साल 2007 में सत्ता की चाभी हासिल की थी।
उसके बाद मायावती पर आरोप लगता रहा कि उन्होंने ब्राह्मणों का इस्तेमाल करने के बाद उन्हेंं भाईचारा समितियों तक ही सीमित रखा। इसी बीच मायावती ने भी इस वक्त की सियासी हवा भांपकर कुछ ही दिनों पहले भाईचारा समितियों को भंग कर दिया और अपनी पार्टी के ब्राह्मण नेताओं को सीधे संगठन के पदाधिकारी के तौर पर पेश करना शुरू किया।