MDM रिपोर्ट: ‘झूठे शिक्षक’ पढ़ा रहे- ‘सदा सच बोलो’

Uncategorized

फर्रुखाबाद: सदा सच का पाठ पढ़ाने वाले सरकारी स्कूलों के परिषदीय शिक्षक खुद झूठ का पहाड़ा रट रहें हैं| जनता के पैसे से बीस बीस हजार वेतन पाने वाले शिक्षक दौलत के चंद टुकडो की खातिर अपना ईमान शिक्षा के मंदिर में ही बेच रहे हैं| दूर दराज देहात के ग्रामीण इलाको में क्या कुछ चला रहा होगा इसका अंदाज आप खुद कर लें, जनपद मुख्यालय पर नगर में चल रहे स्कूलों में मिड डे मील की तस्वीर देख कर जहाँ जिलाधिकारी से लेकर छोटे बड़े मिलाकर लगभग 200 अफसरों की फ़ौज तैनात है और लगभग एक हजार के लगभग वेतनभोगी सरकारी कर्मी| यहाँ आम जनता के बच्चो के निबाले को झूठ के पुलिंदो में बाँध कर शिक्षक सदा सच बोलो का दम भर रहे हैं| मिड-डे-मील में एनजीओ के साथ मिलकर भ्रष्टाचार की गंगा में गोते लगा बड़ी ही बेशर्मी से इसे “आज का चलन” बता रहे हैं|

पहली तस्वीर: प्राथमिक विद्यालय लिंजिगंज और सुत्तहट्टी
जेएनआई की रिपोर्टिंग के बाद कागजो में छात्र संख्या कम हो गयी?

गत कार्यदिवस यानि शनिवार 26 मार्च 2011 को जेएनआई के रिपोर्टर ने इस विद्यालय का हालचाल लिया था| उस वक़्त विद्यालय में लिंजिगंज स्कूल के हाजिरी रजिस्टर पर 68 बच्चे उपस्थित दर्ज थे और सुत्तहट्टी विद्यालय के रजिस्टर में 20 बच्चे दर्ज थे| मगर हकीकत में मिड डे मील के खाने के वक़्त पहुची टीम को दोनों विद्यालयों में कुल 36 बच्चे ही मिले| यहाँ ये भी बता दे कि दोनों स्कूल एक ही कैम्पस में चलते हैं| जेएनआई की उस दिन की रिपोर्ट पोर्टल पर छापी गयी और घोटालों के परिणाम नजर आने लगे|

आम तौर पर मिडडेमील के इलेक्ट्रोनिक रजिस्टर यानि आईवीआरएस पर लिंजिगंज के स्कूल में खाना खाने वाले बच्चो की संख्या जो दर्शायी जा रही थी वो 23 मार्च को 111, 24 मार्च को 126, 25 मार्च को 139 थी, मगर जिस दिन यानि 26 मार्च को जेएनआई टीम ने स्कूल का दौरा कर लिया उस दिन संख्या केवल 68 रह गयी|

बात यहीं नहीं रुकी जेएनआई ने एक बार पुनः सोमवार यानि 28 मार्च को स्कूल पहुचकर देखा तो पाया कि हाजिरी रजिस्टर पर 75 बच्चे अंकित थे मगर मौके पर मौजूद केवल दो दर्जन बच्चे ही थे| अबकी बार मास्टर साहब ने हाजिरी और मिड डे मील रजिस्टर दिखाने से ऐसे इनकार कर दिया जैसे ये रजिस्टर इनकी निजी मिलकियत है| शायद पढ़े लिखे मास्टर साहब ये भूल गए कि ये सार्वजनिक सम्पति है जिसे जानने का अधिकार भारत के हर नागरिक को संवैधानिक है और अनुच्छेद 52 के तहत राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी भी| इस अधिकार में दखल डालने पर उनके विरुद्ध संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला बन सकता है|

यानि कि मीडिया के पहुचने के बाद कागजो में बच्चो के खाना खाने की संख्या कम होने लगी| क्या ये इस बात का साफ़ संकेत नहीं कि मास्टर साहब एनजीओ को फर्जीवाड़े के लाभ पहुचाने के लिए बच्चो की फर्जी अधिक संख्या दिखा रहे हैं| कोई भी इंसान बिना फायदे के क्यूँ फर्जीवाड़ा करेगा| सदा सच का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षक कुछ इस तरह से मिड डे मील के झूठे खाते तैयार कर अपना ईमान नहीं बेच रहे क्या?

दूसरी तस्वीर: कन्या प्राइमरी भोपत पट्टी व् प्राइमरी भोपत पट्टी


अब चलते हैं नगर के वार्ड न० 9 स्थित प्राइमरी पाठशाला भोपत पट्टी में| मिड डे मील के गड़बड़ आंकड़ो को छुपाने के उद्देश्य से इस स्कूल का कोई भी रिकॉर्ड आईवीआरएस पर नहीं भेजा जाता| मिड डे मील प्राधिकरण के इलेक्ट्रोनिक रजिस्टर की ऐसी तैसी करने में इस स्कूल के जिम्मेदार शिक्षको का कोई सानी नहीं है| इस विद्यालय में कुल 121 बच्चे नामांकित हैं| रिपोर्टर द्वारा हाजिरी रजिस्टर और मिड डे मील रजिस्टर दिखाने से मौजूद शिक्षक ने साफ़ इनकार कर दिया अलबत्ता मौके पर मौजूद बच्चे गिने गए तो केवल 33 बच्चे उपस्थित थे जिन्हें खाने में दलिया मिला था|

इसी वार्ड के दूसरे स्कूल कन्या प्राइमरी विद्यालय भोपत पट्टी में भी हाल कुछ वैसा ही था गनीमत ये निकली कि इनका रिकॉर्ड फर्जी ही सही मिड डे मील के इलेक्ट्रोनिक रजिस्टर यानि आईवीआरएस पर दर्ज हुआ पाया गया| इस स्कूल में कुल 110 छात्राएं पंजीकृत हैं जिसमे से सोमवार को केवल 11 मौजूद मिली| आई वी आर एस रिपोर्ट के मुताबिक यहाँ 23 मार्च को 770, 24 मार्च को 85, 25 मार्च को 86, 26 मार्च को 88 और 28 मार्च को 65 बच्चो को भोजन परोसा गया दिखाया|

ठन्डे चूल्हे पर बनाया गरमा गरम दलिया-

यहाँ रसोई देख अंदाजा हो गया की अरसे से चूल्हा नहीं जला है अलबत्ता कहीं दूर से गरमा गरम की जगह वेस्वाद ठंडा दलिया परोसा गया| इस विद्यालय में खाना बनाने के लिए रसोइये भी 3 तैनात हैं मगर कागजो पर| न उनका कोई रिकॉर्ड स्कूल में मिला न ही रसोइया| इस खेल में बेसिक शिक्षा कार्यालय की सीधी पकड़ है|

आखिर इन स्कूलों में क्या सिर्फ दोपहर को खाना खाने आते हैं या फिर ये फर्जी संख्या एनजीओ और शिक्षक की मिलीभगत से सरकारी गबन के लिए भरी जा रही है इस बात का जबाब वहां के एक शिक्षा मित्र ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि अधिकारी खुद ये आदेश देते हैं कि उपस्थिति 80% का आसपास रहे|

तीसरी तस्वीर: प्राइमरी विद्यालय नवीन घोड़ा नखास

नगर के वार्ड संख्या 7 शिवाजी नगर के प्राथमिक विद्यालय घोडा नखास की तो बात ही निराली है| यहाँ दोपहर को एक शिक्षा मित्र 24 बच्चो को गोले में बिठाए थी| बच्चो ने ठंडा दलिया हलक के नीचे बमुश्किल उतरा था| हाजिरी रजिस्टर पर 24 बच्चो की उपस्थिति और मिड डे मील के रजिस्टर पर 60 की संख्या दर्ज थी| ये जानने के बाद ये जानकारी लेने वाला जे एन आई का पत्रकार है तुरंत बोली – जरा ठहरो हाजिरी रजिस्टर पर भी 60 की संख्या चड़ा दूं………………