लखनऊ: कोरोना को लेकर लोगों में व्याप्त भय को आंकने के लिए विशेषज्ञों ने जब शोध किया तो काफी सकारात्मक नतीजे सामने आए। अधिकांश लोगों को कोरोना से भय नहीं है तो ज्यादातर लोग इससे बचने के एहतियात के बारे में जानते हैं। कुछ लोगों में इसे लेकर बेचैनी भी दिखी लेकिन ज्यादातर नतीजों ने ये साबित किया कोरोना से लडऩे की जानकारी के मामले में प्रदेश के लोग काफी जागरूक हैं।
इस शोध में उत्तर प्रदेश के आलावा ओडिशा, हरियाणा सहित अन्य प्रदेश के लोग शामिल हुए। 662 लोगों पर विशेषज्ञों ने शोध किया। 51.2 फीसद महिलाएं और 48.6 फीसद पुरुष शामिल हुए। शोध के अनुसार 80 फीसद कोरोना के मरीज देश में बिना दवा के ठीक हो रहे हैं। 60 फीसद लोग मानते हैं कि कोरोना से संक्रमित होने पर वह ठीक हो जाएंगे। 72 फीसद लोग जानते हैं कि कोरोना से बचने के लिए सैनिटाइजर, हाथ का धुलना और दस्ताने का इस्तेमाल जरूरी है। 50 फीसद लोग कोरोना से बेचैन हो रहे हैं। 80 फीसद लोगों को मेंटल केयर की जरूरत है। 29.5 फीसद को पता है कि कोरोना संक्रमण कैसे फैलता है। 56 फीसद ने, यह पालतू जानवर से फैलता है, इसको नकार दिया। 97 फीसद को पता है लगातार हाथ धुलने से संक्रमण के फैलाव को रोका जा सकता है। 18.2 फीसद को पता है कि बुखार संक्रमण का मुख्य लक्षण है।
किनमें हो रही है बेचैनी
जो घर से बाहर निकल रहे हैं जिन्होंने ऑफिस जाना शुरू किया है। जो लोगखरीदारी करने बाजार जा रहे हैं। आस-पास कोई पॉजिटिव मरीज मिल जाता है तो बुजुर्ग परेशान होकर बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। पेरेंट्स की सबसे बड़ी चिंता बच्चे हैं। कुछ समय के लिए ही सही बच्चे पार्क में जा रहे हैं तो वे क्या छू रहे, किससे बात कर रहे हैं, वापस आने पर कहीं वो संक्रमण लेकर नहीं आ रहे हैं। ऐसे मामले पेरेंट्स का तनाव बढ़ा रहे हैं।
ऐसे करें बचाव
खुद का ध्यान निगेटिव खबरों से डायवर्ट करें।
दिनभर टीवी पर सिर्फ इसे ही देखते न रहें।
रोजाना एक घंटा योग, एक्सरसाइज या मेडिटेशन करें। दिमाग को रिलैक्स होने दें।
शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ाएंगे तो खुद को दिनभर तरोताजा पाएंगे।
शोध करने वाली टीम
किंग जार्ज मेडिकल विवि के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. एसके कार के अगुवाई में स्टडी ऑफ नॉलेज, एटीट्यूड, एंग्जाइटी एंड परसीव्ड मेंटल हेल्थ केयर इन इंडियन पॉपुलेशन ड्यूरिंग कोविड-19 पैंडेमिक विषय पर शोध हुआ। इसमें डॉ. देवलीना राय, डॉ. सर्वोदय त्रिपाठी, डॉ. निवेदिता शर्मा, डॉ. सुधीर कुमार वर्मा व डॉ.विकास कुशल शामिल हुए, जिसे एसियन जर्नल ऑफ साइकेट्रिक ने स्वीकार किया।