नोएडा: समाजवादी पार्टी की पूर्व प्रवक्ता और वर्तमान में कांग्रेस की मीडिया पैनलिस्ट पंखुड़ी पाठक की शादी नोएडा निवासी अनिल यादव से होगी। अनिल यादव समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता रह चुके हैं और वर्तमान में नोएडा में रहते हैं। अनिल यादव को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है।
जानकारी के मुताबिक दोनों की शादी एक दिसंबर को दिल्ली की वसुंधरा वाटिका में होगी। बताया जा रहा है जा रहा कि पंखुड़ी पाठक लव मैरिज कर रही हैं। इसकी इजाजत उन्होंने अपने परिजनों से ले ली है। सपा की प्रवक्ता रहीं पंखुड़ी वर्तमान समय में कांग्रेस की मीडिया पैनलिस्ट हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई की है। बताया जा रहा है कि दोनों की शादी का कार्ड भी छप चुका है और करीबी लोगों को बांटा भी जा रहा है। दोनों की शादी में सपा और कांग्रेस के कई नेताओं के भी शामिल होने की चर्चा है हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
अगस्त 2018 में सपा ने पैनलिस्टों की संशोधित सूची जारी की थी। नाम नहीं होने पर पंखुड़ी ने बगावत कर दी थी। और पार्टी में दम घुटने का आरोप लगाते हुए स्वाभिमान से समझौता नहीं करने की बात कहते हुए पार्टी छोड़ दी थी। ट्वीट कर उन्होंने आरोप लगाया था कि पार्टी में कभी लिंग को लेकर तो कभी धर्म के नाम पर अभद्र टिप्पड़ियां की जाती हैं। उन्होंने पार्टी पर विचारधारा से भटकने का भी आरोप लगाया था। अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री थे तब पंखुड़ी पाठक सपा की प्रवक्ता थीं। न्यूज चैनलों पर वह मजबूती के साथ पार्टी का पक्ष रखतीं थी। हालांकि बाद में मतभेद के चलते पार्टी छोड़ दी थी। पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।
कौन हैं पंखुड़ी पाठक
बता दें कि पंखुड़ी पाठक का परिवार राजनीति से कोई ताल्लुक नहीं रखता है। दिल्ली में रहने वाली पंखुड़ी पाठक लंबे समय से समाजवादी पार्टी छात्र सभा से जुड़ी रहीं। पंखुड़ी के पिता का नाम जेसी पाठक है और माता का नाम आरती पाठक है। माता-पिता दोनों लोग पेशे से डॉक्टर हैं और वे निजी प्रैक्टिस करते हैं। पंखुड़ी पाठक दिल्ली विश्नविद्लाय से लॉ की पढ़ाई की है। पंखुड़ी इस समय कांग्रेस की नेता हैं। साल 2010 में सपा में शामिल होने वाली पंखुड़ी पाठक दिल्ली के हंसराज कॉलेज में समाजवादी छात्र संघ से चुनाव लड़ा था और ज्वाइंट सेक्रेटरी का पद पर जीत हासिल भी की थी। इसके बाद वह सपा में सक्रिय रूप से काम करने लगीं। जब तक यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी तब तक वह अखिलेश यादव की करीबी मानी जीती थीं।