फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला)गंगा के घाटों पर हर ओर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। खुद के पाप धोकर लोग मां गंगा का आंचल गंदा कर गए। घाट परिसर में फैली गंदगी से प्रशासन की सफाई के दावे खोखले साबित हुए हैं।
नगर के पांचाल घाट पर कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालु स्नान करने आए। स्नान के दौरान गंगा घाट पर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर पुण्य कमाया। इस दौरान पॉलीथिन और दूसरी गंदगी घाटों पर छोड़ी गई। सैकड़ो श्रद्धालु तो खंडित प्रतिमा को ही रख गया। ऐसे श्रद्धालुओं के अलावा स्थानीय दुकानदार भी गंगा को गंदा करते रहे।
पूरी आस्था के साथ भक्तों ने पतित पावनी में डुबकी लगाकर आचमन किया। श्रद्धा भाव के साथ मइया का आशीर्वाद गंगाजल लेकर अपनी मंजिल की तरफ लौट गए। मन को पवित्रा का अहसास लेकर लौटने वाले श्रद्धालु गंगा के किनारे पर आस्था के नाम पर गंदगी के ढेर लगा गए। कचरे के ऐसे ढेर, जो यहां आने वाले दूसरे भक्तों के हृदय को लंबे समय तक वेदना देंगे।
तमाम तो घर के पुरानें चित्रों को यहां विसर्जित कर गये। भक्तों के सैलाब की यह श्रृद्धा इतने तक ही सीमित न रही, बल्कि चलते- चलते पूजन सामग्री की पॉलीथिन तक गंगा में बहा गए।
कई श्रद्धालु अपने वाहनों को गंगा में धोते नजर आये
जो बाइक धोते युवा नजर आ रहे है इस फोटो को देखकर सरकार को दोषी ठहराना किसी भी मायने में खरा नही उतरता| यह युवा क्या जागरूकता की कमी का अहसास नही करा रहे| क्या इसमे भी सरकार की गलती है|
खंडित मूर्तियां मल-मूत्र में पड़ी दिखी
जेएनआई टीम नें जब पांचाल घाट का दौरा किया तो हदय को बड़ा आघात लगा| दर्जनों मूर्तियाँ गंगा के किनारे कुछ दूरी पर पड़ी थी| जिनके आस-पास लोग मल-मूत्र कर रहे थे| अब इसमे किसकी गलती है| क्या गंगा खुद अपना आँचल साफ करेंगी या हमे ही आगे आने की जरूरत है| गंगा घाटों पर खुले में पन्नी में प्रसाद बिक्री होता नजर आया| लेकिन कोई उन्हें टोकने वाला नही दिखा| एक दुकानदार से पूंछा तो जबाब मिला सभी बेच रहे है तो हम भी बेंच रहे है| आप से क्या मतलब|
नमामि गंगे के संयोजन रवि मिश्रा और न्यायिक मानवाधिकार संरक्षण के जिलाध्यक्ष आदित्य दीक्षित नें बताया की वह लोग अपने साथियों के साथ आये दिन सफ़ाई अभियान चलाते है| लेकिन फिर उतनी ही श्रद्धालु गंदगी और खंडित मूर्तियों को छोड़ कर चले जाते है बाद में वह खंडित देवी-देवताओं की मूर्तियाँ गंदगी में पड़ी रहती है यह बहुत दुखद है|