हाथी पर आएंगी माता, भैंसे पर करेंगी प्रस्थान-पढ़े कलश स्थापन का समय

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लखनऊ: शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा की पूजा-आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलता है। इस बार इसका आरंभ 29 सितंबर से हो रहा है जो सात अक्टूबर तक चलेगा। पांच अक्टूबर को निशिथ व्यापिनी अष्टमी में महानिशा पूजन और बलिदान आदि होंंगे। छह अक्टूबर को सूर्योदय व्यापिनी अष्टमी में महाअष्टमी व्रत होगा। सात को अक्टूबर को महानवमी व्रत व हवनादि किया जाएगा। आठ अक्टूबर को विजय दशमी मनाने के साथ दुर्गा प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा। दर्शन विधान अनुसार 29 सितंबर प्रतिपदा को शैलपुत्री दर्शन से लेकर सात अक्टूबर नवमी तक सिद्धिदात्री के दर्शन का विधान नियमित नौ दिनों तक चलता रहेगा।
ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार इस बार माता का आगमन हाथी पर हो रहा है जिसका फल सुवृष्टि यानी अत्यधिक वर्षा और गमन भैंसा पर हो रहा है जिसका फल रोग-शोक विपत्ति इत्यादि माना जाता है। इस लिहाज से माता का आगमन अति शुभ और गमन अशुभ होगा।
कलश स्थापन : आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 29 सितंबर को कलश स्थापन और ध्वजारोपण के लिए शुभ समय प्रात: 6.04 से 9.45 बजे तक है। इस समय में जो लोग कलश स्थापन न कर पाएं वे 11.23 से 12.11 बजे के बीच यह कार्य कर सकते हैं।
पूजन विधान : नवरात्रारंभ तिथि प्रतिपदा यानी 29 सितंबर को प्रात: तैलाभ्यंग स्नानादि कर तिथिवार नक्षत्र, गोत्र, नाम आदि लेकर मां पराम्बा के प्रसन्नार्थ प्रसाद स्वरूप दीर्घायु, विपुल धन, पुत्र- पौत्र, श्रीलक्ष्मी, कीर्ति, लाभ, शत्रु पराजय समेत सभी तरह के सिद्धर्थ शारदीय नवरात्र में कलश स्थापन, दुर्गा पूजा और कुमारिका पूजन करूंगा का संकल्प करना चाहिए। गणपति पूजन, मातृका पूजन, नांदी श्राद्ध इत्यादि के बाद मां पराम्बा का षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करना चाहिए।
मान्यता : शारदीय नवरात्र का महात्म्य वैदिक काल से है। मार्कंडेय पुराण में देवी का महात्म्य दुर्गा सप्तशती द्वारा प्रकट किया गया है। वहां वर्णित है कि शुंभ-निशुंभ व महिषासुर आदि तामसी प्रवृत्ति वाले असुरों का जन्म होने से देवता दुखी हो गए। सभी ने चित्त शक्ति से महामाया की स्तुति की। देवी ने वरदान दिया कि-डरो मत, मैं अचिरकाल में प्रकट हो कर इस असुर पराक्रमी असुरों का संहार करूंगी। तुम देवों का दुख दूर करूंगी। मेरी प्रसन्नता के लिए तुम लोगों को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से घट स्थापन पूर्वक नवमी तक नौ दिन पूजा करनी चाहिए। इस आधार पर नवरात्र का महत्व अनादि काल से चला आ रहा है।
ख्यात ज्योतिषाचार्य डॉ. कामेश्वर उपाध्याय के मुताबिक, नवरात्र इस बार पूरे नौ दिन का है। इसका आरंभ 29 सितंबर से हो रहा है। प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नियमित व्रत व दर्शन विधान चलेंगे।