तेजस्वता एवं प्रकाश का प्रतीक है रंगोली

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फर्रुखाबाद: कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती  द्वारा दो दिवसीय भू-अलंकरण कार्यशाला का उद्घाटन नगर के पाण्डवेश्वर नाथ शिवालय में हुआ।
रंगोली कार्यशाला में बोलते हुये संस्कार भारती फर्रुखाबाद के संरक्षक आचार्य ओमप्रकाश मिश्र कंचन ने कहा कि रंगोली विधा सबसे प्राचीन विधा है। इस विधा के माध्यम से रंगोली में विभिन्न रंगों एवं चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, तो वह साक्षात सत्य शिव और सुन्दर का रुप लेकर आंगन में आती है। रंगोली तेजस्वता एवं प्रकाश का प्रतीक है। यह सृष्टि का महाप्राण है।
उन्होंने कहा कि रंगोली विधा परिवारों को संयुक्त होने का संदेश देती है, जैसे- रंगोली में विभिन्न रंगों का प्रयोग होता है, इसी प्रकार हमारे परिवारों में भी विभिन्न रंग होते हैं। इस अवसर पर पूर्व जीएसटी इनकम टैक्स कमिश्नर गाजियाबाद डा0 अजय गोयल ने कहा कि संस्कार भारती कला एवं साहित्य के लिए समर्पित संस्था है। यह संस्था पूरे देश में कलाकारों को खोज कर एवं नये कालाकारों का निर्माण कर राष्ट्र साधना में लगी हुई है। संस्कार भारती के सभी कला साधक भारत को नव जीवन प्रदान करने के लिए साधना कर रहे है। कानपुर से आयीं संस्कार भारती कानपुर प्रान्त की संयोजिका शुचि मालवीय ने कहा कि रंगोली के माध्यम से हम अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। प्रान्तीय नाट्य विधा संयोजक डा0 ओमेन्द्र कुमार ने कहा यह विधा पृथ्वी को अलंकृत कर सदा साफ एवं सुन्दर बनाने का संदेश देती है।
सचिव आकांक्षा सक्सेना ने बताया कि कार्यशाला में कुल 68 लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए अपना पंजीकरण कराया। कार्यकारी अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने सभी अतिथियों एवं प्रशिक्षक को स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रान्तीय महामंत्री सुरेन्द्र पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर अध्यक्ष संजय गर्ग, कोषाध्यक्ष आदेश अवस्थी, कार्यशाला संयोजिका साधना श्रीवास्तव, अनुभव सारस्वत, डा0 समरेन्द्र शुक्ल ‘कवि’, पंकज पाण्डेय, गौरव मिश्रा, अर्पण शाक्य, अजय दीक्षित, राजगौरव पाण्डेय, अरविन्द दीक्षित, रवीन्द्र भदौरिया, अनुराग पाण्डेय, सहित संस्था के पदाधिकारी व सदस्य मौजूद रहे।