फर्रुखाबाद: भ्रष्टाचार के आगोश में आकंठ तक पहुच चुकी संभागीय परिवहन कार्यालय व्यवस्था को चुस्त, दुरुस्त और जन सहायक सेवा केंद्र के रूप में परवर्तित करने के लिए सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी सुधेश तिवारी में पूरे प्रदेश से चुनिदा अफसरों, सहायको और पुलिस बल की तैनाती की मांग अपने विभाग और सरकार से की है| बहुत ही कलिष्ठ, शुब्ध और भावुक शब्दों का प्रयोग करते हुए श्री तिवारी ने फर्रुखाबाद में अपने साथ हो रहे व्यवहार के प्रति पुलिस-प्रशासन और जन प्रतिनिधिओ को भी पत्र के माध्यम से आड़े हाथो लिया है| श्री तिवारी ने जनप्रतिनिधियो, माफियाओ और अरजक्तत्वो के गठजोड़ को सरकार के लिए घातक बताते हुए अर्धशासकीय पत्र लिखा है|
ये किसी फ़िल्मी कहानी जैसा लग सकता है, मगर ऐसा ही वास्तव में होने के आसार बन सकते है अगर सुधेश तिवारी के विभाग और योगी सरकार ने साथ दिया| अन्यथा हम संभागीय कार्यालय की व्यवस्था को देख कर “बनाना रिपब्लिक” में जी ही रहे है, ऐसा कह सकने में कोई संकोच नहीं है| जुलाई माह में जिले में स्थानातरण पर आये नए सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी सुधेश तिवारी ने सबसे पहले अपने कार्यालय में वर्षो से कब्ज़ा जमाये बिना किसी अधिकृत तैनाती के दलालों पर आँखे तरेरी और बाहर का रास्ता दिखाया| निष्प्रयोज्य घोषित हो चुकी अंग्रेजो के ज़माने की बिल्डिंग खाली कर इटावा बेवर रोड पर नेकपुर पुल के पास प्राइवेट भवन में दफ्तर शिफ्ट किया, आशय कचहरी से दूरी बनायीं और उसके बाद कार्यालय को वातानुकूलित करके 12 सीसीटीवी कैमरे लगाये| इसी बीच श्री तिवारी का वकीलों से जबरदस्त विवाद हो गया| एक दूसरे के विरुद्ध आरोप प्रत्यारोप और मुकदमेबाजी शुरू हो गयी| वर्तमान में भी फतेहगढ़ के अधिवक्ता श्री तिवारी के खिलाफ मोर्चा खोले है| कोई पक्ष झुकने को तैयार नहीं और इसी बीच श्री तिवारी ने सरकार औiर विभाग को 11 प्रष्ठ का अर्धशासकीय पत्र लिख कर एक सूची प्रेषित की है जिसमे पूरे प्रदेश के विभिन्न कार्यालयों में तैनात संभागीय परिवहन विभाग के अफसरों और सहायको की मांग कर दी है| श्री तिवारी ने मांगी गयी सुविधाओ के सापेक्ष अपने विभाग को 1 करोड़ का राजस्व कमा कर देने का वादा किया है|
तरल तैनातियो की अभिलाषा में लोकसेवक शिखंडी एवं नपुंसक
कभी मार्च 2019 में श्रावस्ती के दबंग पूर्व सांसद दद्दन मिश्र से हुए विवाद के कारण स्थानातरण पर स्तीफे की तैयारी और एक बार पुनः स्तीफे की धमकी के साथ श्री तिवारी ने अपने पत्र में लिखा है कि पुलिस-प्रशासन पूरे विवाद का मूक दर्शक बना हुआ है| कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर रहा है| पुलिस प्रशासन मुट्ठी भर अपराधियों के समक्ष आत्मसमर्पण करते हुए घुटने टेके हुए है और तरल तैनातियो की अभिलाषा में लोकसेवक शिखंडी एवं नपुंसक बना हुआ है ऐसा श्री तिवारी ने अपने मांग पत्र में भेजा है|
AARTO द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को भेजा गया पत्र यहाँ क्लिक करके डाउनलोड करे