अंगूर की बेटी को हाथ लगाने से पहले सावधान!

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यदि आप अंगूर की बेटी का सेवन करने के आदी हैं तो जरा संभल जाइए। इन दिनों शहर ही नहीं, बल्कि पूरे जिले में मिलावटी शराब बेचने का गोरखधंधा चल रहा है। यह मिलावटी शराब आपके स्वास्थ्य को खराब कर सकती है। आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों को शिकायत देने का भी कोई फायदा नहीं है, क्योंकि यहां के भी कुछ अधिकारी इस खेल में शामिल हैं।

आबकारी एवं कराधान विभाग का नया सत्र शुरू होने में मात्र 20 दिन शेष रह गए हैं, जिसे लेकर शराब ठेकेदारों के बीच कंपीटिशन चल रहा है। इतना ही नहीं, ठेकेदारों ने शराब के दाम भी घटा दिए हैं। कुल मिलाकर ठेकेदार लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ तो कर ही रहे हैं, साथ ही मोटा मुनाफा भी कमा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि ठेकेदारों ने असली शराब का स्टॉक कर लिया है और मिलावटी शराब बेचनी शुरू कर दी है। यही कारण है कि देसी और अंग्रेजी की शराब की बोतलों से सील गायब पाई जाती हैं। दुकानों के बाहर रेट डाउन के बैनर भी खुलेआम लटके हुए हैं।

शराब की दुकान में ही सो जाते हैं कारिंदे

शराब की दुकान पर काम करने वाले कारिंदे दुकान के अंदर ही सो जाते हैं, जिस कारण शहर में पूरी रात शराब की बिक्री हो रही है। आबकारी एवं कराधान विभाग के नियमानुसार सुबह आठ बजे से पहले और रात 12 बजे के बाद जिले की कोई भी शराब की दुकान नहीं खोली जाएगी। हैरानी की बात तो यह है कि विभाग को कोई भी अधिकारी इन नियमों की समीक्षा नहीं करता, जिस कारण यह गोरखधंधा खूब फल-फूल रहा है।

ऐसे होती है मिलावट

देसी शराब की पैकिंग प्लास्टिक की बोतल में होती है। कारिंदे बोतल को दबाकर शराब दूसरी बोतल में भर लेते हैं। इसके बाद नशे की गोलियां पानी में घोलकर बोतल को उसमें छोड़ देते हैं। यह घोल पानी में चला जाता और बोतल भर जाती है। अंग्रेजी शराब के जो ब्रांड रूटीन में अधिक बिकते हैं, उनमें भी मिलावट की जा रही है।