फर्रुखाबाद: डॉ० राममनोहर लोहिया अस्पताल में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया| जिसमे विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत महिलाओं को स्तनपान करानें के विषय में जागरूक किया गया|
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ० दलवीर सिंह ने कहा कि नवजात के लिए पहला पीला गाढ़ा मां का दूध (कोलेस्ट्रम) संपूर्ण आहार होता है, जिसे बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर ही पिलाना शुरू कर देना चाहिए। इसके अलावा सामान्यत: बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक नियमित रूप से सिर्फ माँ का दूध देना चाहिए। शिशु को 6 महीने की अवस्था के बाद भी लगभग 2 वर्ष तक अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराते रहना चाहिए |
डॉ० राममनोहर लोहिया चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ शिवाशिष नें बताया कि माँ का दूध अमृत के समान होता है। माँ के दूध से शिशु को कुपोषण के साथ-साथ रोगों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है। पहले छः महीने तक बच्चों को केवल स्तनपान पर ही निर्भर रखना चाहिए। सुपाच्य होने के कारण माँ का दूध शिशु के जीवन के लिए जरूरी है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ० खुशबू ने बताया कि स्तनपान कराने से मां को भी स्वास्थ्य संबंधी अनेक फ़ायदे होते हैं। स्तनपान कराने वाली माताओं में मोटापा भी कम देखा जाता है क्योंकि स्तनपान से मां को फिर से अपना सामान्य आकार पाने में मदद मिलती है। यह छाती और अण्डाशयी कैंसर से भी संरक्षा प्रदान करता है। स्तनपान कराने के गर्भनिरोधक प्रभाव भी होते हैं। जहां तक शिशु के पालन-पोषण और उसके साथ व्यावहारिक तालमेल बिठाने की बात है, तो जो माताएं स्तनपान कराती हैं वे अपने शिशुओं के साथ बेहतर तालमेल बिठा लेती हैं।
गोष्ठी के दौरान सीएमएस डॉ० अशोक कुमार, नगरीय स्वास्थ्य केंद्र रकावगंज की डॉ० शोभा सक्सेना, डीपीएम कंचनबाला, सूरज दुबे, उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई से डीटीएस अभिलाष, शुभम नायर, डॉ०योगेश, एनआरसी से डायटीसियन संगीता आदि लोग मौजूद रहे|