फर्रुखाबाद: नगर के आस-पास शायद ही कोई जगह हो जंहा आदमी अपने परिवार के साथ कुछ पल सुकून के गुजार सके| लगभग 26 वर्ष पूर्व इस दिशा में वन विभाग की ओर से वनों की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने और आदमी को कुदरत की गोद का अहसास कराने को “मिनी जू” वन चेतना केंद्र की स्थापना की गयी थी| जिसमें नौनिहालों के मनोरंजन के लिए पशु-पक्षियों को भी रखा गया था| शहर की भीड़-भाड़ और भाग-दौड़ भरे जीवन से ब्रेक लेने को लोग बच्चों के साथ यहां घंटों बिता देते। अवकाश के दिन पिकनिक के लिए लोग परिवार सहित यहां पहुंचते थे|
वन विभाग की सामाजिक वानिकी योजना के अंतर्गत तत्कालीन जिलाधिकारी अरविन्द कुमार के कड़ी मेहनत और प्रयास से शहर की सीमा के नजदीक सेन्ट्रल जेल के पीछे ग्राम निनौआ की लगभग 2.0230 हेक्टेयर भूमि को वन विभाग को ट्रांसफर किया गया था। भाग-दौड़ भरे जीवन से ऊब कर परिवार के साथ सुकून के कुछ पल गुजारने आने वाले लोगों के लिए वन चेतना केंद्र पहली पसंद बन गया। यहां पर वन विभाग की ओर से एक मिनी-जू जैसा माहौल बनाया गया था, जहां लोहे के पिंजरों में च्चों की रुचि के अनुरूप कई वन्य जीवों खरगोश, अजगर, हिरन, लोमड़ी, विभिन्य प्रकार के पक्षी आदि भी रखे गए थे। सांसद निधि से यहां पर कृत्रिम नहर का निर्माण कराया गया, जिसमें बच्चों के लिए छोटी नावें भी चला करती थीं। लेकिन धीरे-धीरे यह उपेक्षा का शिकार होता गया।
बीते लगभग दस वर्षों से अधिक समय से वजट ना मिलने से “मिनी जू” खंडहर में तब्दील हो गया| उसकी जगह पर वन विभाग का डिपो संचालित हो रहा है| “मिनी जू ” अब गुजरे जमाने की बात हो चुकी है| यह किसी जनप्रतिनिधि और अफसर को नजर नही आता| “मिनी जू” की जगह उसके जगह-जगह अबशेष ही बचे है|