प्रयागराज: वैसे तो 12वीं तक की शिक्षा पर सरकारी खर्च 30 अरब रुपये से अधिक है लेकिन बात जब मेधावियों के सम्मान की हो तो सरकारी बटुआ खाली नजर आता है। मेधावी छात्र-छात्राओं के प्रति सरकार की उपेक्षा का एक नमूना है एकीकृत छात्रवृत्ति परीक्षा जिसमें सफल शहरी छात्रों को वजीफे के नाम पर महज 15 रुपये (प्रत्येक साल में 10 महीने के लिए) दो साल तक प्रतिमाह दिए जाते है।
एलनगंज स्थित परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की ओर से पूरे प्रदेश में यह परीक्षा तीन वर्गों में आयोजित की जाती है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को 50 रुपये और छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र को 100 रुपये प्रतिमाह दो साल तक मिलते हैं। इस परीक्षा में 15 वर्ष तक की आयु वाले छात्र ही सम्मिलित हो सकते है।
यह वजीफा उसी छात्र या छात्रा को मिलता है जिसने कक्षा 8 में 50 फीसदी या अधिक अंक प्राप्त किया हो और कक्षा 9 में किसी स्कूल में दाखिला लिया हो। पूरे प्रदेश में शहरी क्षेत्र के कुल 2376 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। यानी प्रत्येक शहर से लगभग 33 छात्रों को यह छात्रवृत्ति मिलती है। जबकि प्रत्येक ब्लाक में 6 मेधावियों को यह छात्रवृत्ति दी जाती है। हर साल यह परीक्षा 15 मई को होती है लेकिन इस साल चुनाव के कारण 26 मई को कराई जा सकी थी। परीक्षा का परिणाम 15 जुलाई तक घोषित होने की उम्मीद है।