फर्रुखाबाद:(मोहम्मदाबाद) श्री रघुनाथ कथा के पंचम दिन कथा में श्रीराम और सीता के विवाह का वर्णन किया| कथा सुनने के दौरान श्रोता मन्त्रमुग्ध हो गये|
ग्राम सहसपुर में चल रही कथा में कथा व्यास प्रेमभूषण महाराज नें कहा कि क्रियात्मकता सर्वकाल उपस्थित रहना चाहिये, जो जीव क्रियात्मक है वही जीवन्त है। किसी कार्य की असफलता इस बात का द्योतक है कि कार्य को पूरे मनोयोग से नहीं किया गया है। विश्राम वहीं पर मिलता है, जहाँ मन की अनुकूलता हो|
उन्होंने कहा कि पति-पत्नी एक इकाई है दो है ही नहीं दोनों एक है। अतिसय प्रेम में संसय बना ही रहता है। मूर्ति का मुस्कराना मंगल होता है, मूर्ति का रोना अमंगल का भी अमंगल होता है। सुन्दरता जीव के सत्कर्मो का प्रतिफल है। जितना प्रेम आपका उससे है, उसका भी प्रेम उतना ही है। प्रेम में और आक्रोश में क्रिया का लोप हो जाता है।
कथा का वर्णन करते हुये बताया कि हमारे ऋषियों द्वारा जीव के जन्म से लेकर मृत्यु तक के विषय में अपार चिंतन का परिणाम ही पुराण है। अधिकार की लालसा ही कर्तव्य को समाप्त कर देती है। हमारे सत्कर्माे के अनुसार ही प्रकृति हमारा सहयोग करती है। कथा में उन्होंने श्रीराम और सीता जी के विवाह का वर्णन किया| जिसे श्रोताओं ने ध्यान लगाकर श्रवण किया| कथा के बाद मुख्य यजमान डाॅ0 अनुपम दुवे एडवोकेट ने अपनी पत्नी मीनाक्षी दुवे, ब्लाक प्रमुख अमित दुवे ‘बब्बन’, अनुराग दुवे ‘डब्बन’ अभिषेक दुवे, सीतू दुवे एवं परिवार के साथ आरती उतारी। भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया।