फर्रुखाबाद: ट्रेनों से सफर के दौरान अकसर हमें पुलिस वाले दिखाई पड़ जाते हैं। कभी ट्रेन के अंदर तो कभी प्लेटफार्म पर कभी टिकट खिड़की के पास तो कभी माल गोदाम की तरफ। स्टेशनो पर जब भी पुलिस की बात चलती है तो जीआरपी और आरपीएफ का नाम जरूर आता है। पुलिस वालों को भी देखा जाता है तो उनके कंधे पर जीआरपी या आरपीएफ लिखा होता है|इसमे बहुत भ्रम की स्थित बनती है| अकसर हमारे दिमाग में यह बात आती है कि इन दोनों में फर्क क्या है। पुलिस तो दोनों हैं। आइए देखते हैं जीआरपी और आरपीएफ में क्या अंतर है ?
आरपीएफ व जीआरपी की फुलफॉर्म
आरपीएफ का फुलफॉर्म रेलवे सुरक्षा बल यानी रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स व जीआरपी का मतलब राजकीय रेलवे पुलिस यानी गवर्मेंट रेलवे पुलिस है|
आरपीएफ व जीआरपी का काम क्या है?
आरपीएफ यानि रेलवे सुरक्षा बल एक सैन्य बल है जो सीधे रेल मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इसका मुख्या कार्य रेलवे परिसम्पत्तिओं की सुरक्षा करना होता है। इसके अंतर्गत रेलवे परिसर में उपस्थित सारे सामान आते हैं। यह रेल मंत्रालय के प्रति जवाबदेय होता है। यह रेलवे स्टॉक ,रेलवे लाइन ,यार्ड ,मालगोदाम इत्यादि बहुत सारी चीज़ों की सुरक्षा करता है। इन सम्पतिओं को नुकसान पहुंचाने ,चोरी करने वाले व्यक्तिओं की जांच करना , गिरफ़्तारी करना , रेलवे को सुरक्षा प्रदान करना आदि है।
वही जीआरपी एक पुलिस संगठन है और यह राज्य के पुलिस के नियंत्रण में काम करता है और उसी के जवाबदेय होता है। इसका मुख्य काम स्टेशन परिसर के साथ-साथ ट्रेनों में कानून और व्यवस्था बनाये रखना है। स्टेशन परिसर में उपस्थित किसी भी व्यक्ति चाहे वो स्टेशन पर हो या
ट्रेन के अंदर उसकी सुरक्षा की जानकारी जीआरपी की होती है। स्टेशन परिसर में हुए अपराध में एफआईआर लिखना उस पर उचित कार्रवाई करना जाँच करना आदि इनका कर्त्तव्य है। यात्रिओं के बीच मारपीट ,चोरी ,हत्या ,लूट किसी का गायब हो जाना। टिकट खिड़की पर भीड़ को नियंत्रित करना इत्यादि इनकी ड्यूटी है।