वैसे तो शर्मा जी फ़्रांस से नहीं आये थे मगर कम से कम इंदौर से तो आये थे| बड़ा नाम सुना था पिछले वर्षो में जनपद का| फर्रुखाबाद, देश के कानून मंत्री रह चुके सलमान खुर्शीद का संसदीय क्षेत्र (घर हम इसलिए नहीं कहेंगे क्योंकि न तो सलमान खुर्शीद ने फर्रुखाबाद को घर माना और न ही यहाँ उन्होंने कभी लगातार 6 माह प्रवास किया)|
विषयांतर न होते हुए बात मुद्दे की करते है, बात शर्माजी जी की चल रही थी| शर्माजी इंदौर से फर्रुखाबाद आलू कारोबार के सिलसिले में आये थे| इंदौर से लखनऊ ट्रेन से और लखनऊ के केसरबाग से फर्रुखाबाद के लिए बस से निकल पड़े| फर्रुखाबाद के बस अड्डे पर बस के पहुचते पहुचते सुबह के 10 बजे हो चुके थे| सुबह 6 बजे पहली बस मिल गयी थी| रास्ते में सारी योजना बना कर निकले थे कि बस अड्डे पर फ्रेश हो लेंगे| उसके बाद नास्ता आदि कर आलू व्यापारी से भेट करेंगे| मगर शर्मा जी ने जैसे ही फर्रुखाबाद के बस अड्डे में कदम रखा तो एक बारगी तो उन्हें उलटी आते आते रह गयी| कोई इस दीवार को तो कोई उस दीवार को दोनों हाथ कमर के आगे किये हुए गीला कर रहा था| शौचालय पर निगाह गयी तो होश उड़ गए| चारो तरफ पान की पीक| अन्दर जमाने से सफाई नहीं हुई| और तो और पीने के पानी लिए लगी टोटियो की हालत और भी ख़राब थी| कोई टोटी पर ही पीक कर चला गया था| शर्मा जी आखिर इंदौर से आये थे| जिस शहर को स्वस्छता अभियान में पुरुस्कार मिला था|
अब शर्मा जी का प्रेशर कम होने की जगह बढ़ रहा था| दीर्घ शंका दूर करने की जगह ऐसी दिखी कि जैसे डम्प स्थल पर कोई कचरे के ढेर पर कचरा लगा लगा कर पहाड़ बना गया हो| और लघु शंका के लिए तो शहर में कोई स्थान तक नहीं दिख रहा था| प्रेशर कम करने के लिए केवल दीवार का ही सहारा| खैर जैसे तैसे आलू व्यापारी ने अपनी दुकान के पीछे शर्माजी को नित्यकर्म से फारिग कराया और उसके बाद चर्चा सफाई अभियान पर ही चल निकली|
शर्मा जी बोले- यार गुप्ताजी मैंने देखा कि फतेहगढ़ से फर्रुखाबाद की दीवारे स्वस्छता अभियान के नारों से पटी पड़ी है मगर हालात तो कुछ और ही दिखाई दे रहे है| क्या स्वस्छता अभियान का सारा पैसा दीवारों को पुतवाने में ही लगा दिया| काम तो कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा| सडको के किनारे कूड़ा जमा है, पूरे शहर में बेतरतीव होल्डिंग्स लगे है, बिजली के खम्भों पर लटके विज्ञापनों के फटे पुराने पोस्टर लटक रहे है| क्या नगरपालिका कुछ काम नहीं करती यहाँ| गुप्ता जी बोले यार शर्मा क्या बताये, नगरपालिका यहाँ सिर्फ चुनाव लडती है| पिछले 30 सालो से नगरपालिका का सिर्फ हरण हो रहा है| हाँ एक बात तो है कि यहाँ की जनता बहुत शालीन है| पानी आये न आये, रात को स्ट्रीट लाइट जले न जले, नालो में सफाई भले ही न हो मगर कभी हल्ला नहीं मचाती| और कुछ साफ़ रहे न रहे, पालिका का खाता हमेशा साफ़ रहता है| शर्मा जी ने बात आगे बढ़ाई, बोले हमारे इंदौर में भला कोई सड़क किनारे थूक दे, जनता से लेकर नेता सब को नियम का पालन करना पड़ता है|
इस बार गुप्ता जी ने आईडिया दिया और जोर से हसे, बोले पीकने पर ही जुरमाना लगा दिया जाए तो फर्रुखाबाद में हर साल एक करोड़ का राजस्व जमा हो सकता है मगर करे कौन, मुह दबाते हुए बोले, हमारे यहाँ पालिका में ही 90 फ़ीसदी लोग पीकने वाले है और टो और मुखिया….भी| बात आगे चली तो शर्मा जी एक बात पर तो उखड़ ही गए बोले तुम्हारे शहर में लोग महिलाओ की इज्जत तक का नहीं सोचते| अगर सोचते तो कम से कम महिला और पुरुष के दोनों के लिए पेशावघर तो बनबा ही देते| महिलाओ के लिए तो कोई जगह नहीं बनी मगर पुरुष भी प्रेशर कम करने के चक्कर में कहीं भी खड़ा हो शुरू हो जाता है और सड़क से निकलते बहन बेटियों और महिलाओ को शर्मशार होना पड़ता है|
बात कुछ आगे बढ़ती कि गुप्ताजी ने काटी- बोले लो पानी पियो| अबकी बार शर्मा जी और जोर से उखड़ गए| बोले कमाल हो गया कि बस अड्डे तक पर साफ ठंडा पानी फ्री में नहीं पिला सकते| गुप्ताजी बोले यार क्या बताये ये सब वोट बैंक का खेल है| मतलब पानी में वोट बैंक| गुप्ताजी बोले यहाँ तो शौचालय में भी वोट बैंक है| अब देखो ने इस बार गाँव गाँव मोदी ने शौचालय क्या बनबा दिए चेयरमेन रह चुके और सांसदी का चुनाव लड़ चुके मनोज अग्रवाल के वोट तक सरक गए फूल वालो को| मतलब की बात बताओ, शर्मा जी ने बाजार से आई ठन्डे पानी की बोतल गले से उतारी और गुप्ता जी की ओर घूरा| दरअसल में बस अड्डे से लेकर पूरे शहर में 10-12 ठन्डे पानी के सरकारी फ़िल्टर प्लांट लगे थे मगर नगर में पानी का व्यापार करने वालो ने ऐसा करिश्मा चला रखा है कि ज्यादातर ख़राब है| अब सरकारी ख़राब होंगे तो पानी तो बिकेगा ही न|
और यहाँ के नेता और सरकारी अफसर? इस बार सवाल कुछ गंभीर था| ये दोनों क्या करते है| गुप्ता जी ने समझाया, सरकारी अफसर कुछ समय के लिए आते है, अपना हिसाब किताब समेटते है और चले जाते है और नेताजी राजनीती सिर्फ चुनाव के लिए करते है| बस अड्डे को बाहर से घेरे अवैध बेतरतीव दुकाने टूटे कि न टूटे इसमें नगर विधायक का कितना लाभ हानि है इसका हिसाब लगता है| नगर में नाली और साफ़ पानी सप्लाई करने का नियोजन कितना ही बेतरतीव हो गलियां सभी पक्की हो चुकी है| अब इसमें क्या राज है इसे मत पूछना, और शर्मा जी तुम आलू लो और सरक लो इंदौर, दुबारा आना नहीं वहीँ से फोन कर देना माल भेज दूंगा| गुप्ताजी बडबडा रहे थे, एक बार बुला क्या लिया फर्रुखाबाद की ऐसी तैसी ही कर डाली| अब हमें पिके हुए शौचालय, सरकारी दफ्तर और पानी पीने के स्थान गंदे पसंद है तो तुम्हे क्या? बड़े आये टिम्बकटू से……
यहाँ लगी तस्वीरे सभी फर्रुखाबाद रोडवेज की है…..जिसके लिए इस बस अड्डे का सबसे बड़ा अफसर ही जिम्मेदार कहा जा सकता है| चूँकि यहाँ कई करोड़ का विकास कार्य हुआ है लिहाजा इसकी मलाई भी…… बाकी अब पाठक खुद समझदार है….
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