30 दिनों में प्रदेश के 72 जिलों का सीएम दौरा, गुड बैड में गुजरा

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इन तीस दिनों में सुश्री मायावती ने राज्य के सभी 72 जिलों का दौरा किया और 81अंबेडकर गांवों, अस्सी मलिन बस्तियों, 86 अस्पतालों,148 तहसील और थानों का निरीक्षण किया। इसके अलावा कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना के तहत मकान भी देखे। उन्होंने सरकार की प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों में लापरवाही और कमी पाये जाने पर तत्काल सुधार के निर्देश भी दिये। सुश्री मायावती ने अच्छे काम के लिए अधिकारियों को प्रशस्तिपत्र दिया तो लापरवाह और ढुलमुल रवैया अपनाने वाले अधिकारियों को फटकार भी लगायी। उन्होंने कहा कि अधिकारी आज जनता की समस्या का निराकरण पूरी संवेदनशीलता के साथ करें, ताकि गरीब, पिछड़ों और असहाय लोगों को ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी पड़े।

उन्होंने कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना के तहत बने मकानों में पानी, बिजली, स्कूल, इलाज तथा राशन की दुकानों की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिये।

उत्तर प्रदेश सरकार की यहां जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि देश के इतिहास में किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा राज्य के हर जिले में पहुंचकर इतने बड़े पैमाने पर निरीक्षण करने का कोई उदाहरण नहीं है। सुश्री मायावती सुबह नौ बजे निकल कर देर रात लौटती रहीं और निरीक्षण के दौरान हर बिंदु का बारीकी और गहराई से निरीक्षण किया।

इस बीच विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री के निरीक्षण के लिए किये गये दौरे को पैसे की बर्बादी बताया है। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने आज यहां कहा कि सुश्री मायावती के दौरे से जिलों में कर्फ्यू जैसी स्थिति रहती थी, जिसमें आम आदमी कहीं आ जा भी नहीं सकता था। उन्होंने दावा किया कि गांव और तहसीलों में हेलीपैड तथा सुरक्षा के नाम पर तीन सौ करोड़ रुपये खर्च किये गये।

सिंह ने कहा कि सुश्री मायावती इसे औचक निरीक्षण कह रही हैं, जबकि अधिकारियों को यह पहले से पता होता था कि उन्हें कहां जाना है। इसलिए वे उन्हें उसी जगह पर ले जाते थे जहां काम अच्छा हो रहा होता था।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने सवाल उठाया कि सुश्री मायावती के एक महीने के निरीक्षण का परिणाम क्या निकला। वे इसे पैसे की बर्बादी मानते हैं।

उन्होंने कहा कि बतायी गयी जगहों पर जाना और अधिकारियों का इसका पहले से पता होना टेलीविजन के रियलिटी शो कार्यक्रम की तरह है। सुरक्षा के नाम पर अधिकारियों ने महिलाओं को मुख्यमंत्री से मिलने से रोका।

राज्य के राजनीतिक इतिहास में अब तक ऐसा नहीं हुआ था कि मुख्यमंत्री को अपनी पीड़ा सुनाने वाली महिलाओं को रोका गया और सुरक्षा के नाम पर गिरफ्तार किया गया हो।