फर्रुखाबाद:बीते मकर संक्रांति पर जूना अखाड़ा के संतों ने गंगा में गिर रहे गंदे नाले बंद करने से आक्रोशित होकर शाही स्नान नही किया था| लेकिन इसके बाद भी जिला प्रशासन नही चेता| सोमबार को मेला रामनगरिया का शुभारम्भ है| इस दौरान भी नांगा साधुओं ने गंगा के गंदे पानी से शाही डुबकी लगाने से इंकार किया है| रविवार को भी नाले लगभग बंद नही हो सके|
योगी सरकार की मंशा को पूरा करने के चक्कर में जिले के आला अफसर अब बुरी तरह से फंसे है| गंगा में आ रहे गंदे नालों को इस लिए कागजों में बंद करना है की मेला रामनगरिया का शुभारम्भ होने जा रहा है| अस्थाई बांध बनाकर पानी रोकनें का दिखाबा किया जा रहा है| नाले में लगाये जाने बांध केबल देखने भर के है| दरअसल जिला प्रशासन ऊपर इस समय एक तरफ कुआँ दूसरी तरफ खाई की कहावत सटीक बैठ रही है| यदि नालों में बाँध ना लगें तो मेले में साधु आक्रोशित यदि बांध लगा दें तो पानी आस-पास के सैकड़ों बीघा खेतों की फसलों की जल मगन कर दे| किसान आन्दोलन के लिए तैयार खड़े| इस स्थित में जिला प्रशासन दोनों पले बजा रहा है|
अब वो दौर भी नही रह गया की जैसा पूर्व के वर्षों में हुआ| जिले के एक गणमान्य नेता जी ने मेला शुरू होने से पूर्व मीडिया कबरेज के लिए भैरव घाट पंहुच कर नाला गंगा में जाते देख तत्कालीन सरकार के अफसरों को कैमरों के सामने गरियाया और रामनगरिया में संतो के साथ धरना भी दिया| लेकिन अब तो सरकार भी बन गयी और खुद वह ही सरकार है लेकिन अब डर सता रहा है कि कैसे बोले अब तो अफसर से लेकर सरकार व खुद गंगा भी उनकी ही है|
अलबत्ता आलम यह है की सरकारी अफसर नालों को बंद करने में लगभग नाकाम दिख रहे है| मेला शुभारम्भ से एक दिन पूर्व ही पंच दसनाम जूना अखाड़ा के महंत संत सत्य गिरी महाराज ने नालों का पानी गंगा में समाहित होने से आक्रोशित होकर शाही स्नान से साफ इंकार कर दिया| उन्होंने बताया की कोई भी अखाड़े का नांगा संत गंगा के जल में शाही डुबकी नही लगायेगा|