फर्रुखाबाद:पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए भले ही नित नई योजनाएं बन रही हों लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। पर्यावरण के संरक्षण में मुख्य भूमिका पानी, वायु की होती है लेकिन जल व वायु दोनों में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण खतरे को दावत दे रहा है। कल कारखानों का गंदा पानी, घरेलू गंदा पानी, नालियों में प्रवाहित मल, सीवर लाइन का गंदा निष्कासित पानी नालों के माध्यम से गंगा के आंचल को दागदार कर रहा है। इसी गंदे पानी के गंगा में गोता लगाने के बाद श्रद्धालु व कल्पवासी मकर संक्राति पर आचमन करते नजर आये| जबकि जिला प्रशासन के कागजों में नाले पूरी तरह से बंद है और गंगा अबिरल और निर्मल प्रवाहित हो रही है|
गंगा की अस्मिता को भंग कर रहे नालों को रोकने के लिए कई प्रयास किये गये| जिला प्रशासन ने बीते कई दिनों से आस्थाई बांध बनाने का प्रयास किया लेकिन उसके बाद भी अब तक किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई। गंदे नालों को रोकने के लिए प्रशासन के पास कोई योजना नहीं है। जो योजनाएं हैं भी वे सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं। ऐसे में गंगा को स्वच्छ बनाने के सपना सिर्फ सपने सरीखा है। सोमबार व मंगलवार को मकर संक्राति पर जिले से ही नही आस-पास से भी लोग गंगा का में स्नान करने पंहुचे लेकिन उन्हें आस्था के आगे घुटने टेंककर गंगा के नाला के पानी युक्त जल से ही आचमन करना पड़ा| पांचाल घाट के निकट पुरानी घटिया व टोका घाट की तरफ से आने वाले नाले गंगा को दूषित करनें का प्रयास कर रहे थे|
ईओ नगर पालिका रमेश यादव ने जेएनआई को बताया की बांध बनाये गये थे| 14 व 15 जनवरी के मकर संक्राति स्नान के लिये लेकिन उसके बाद कुछ लोगों ने उसे खोल दिया है| दोबारा कर्मचारियों को भेजकर बांध दुरस्त करायें जायेंगे| सूचना मिल गयी है| मंगलवार को टीम पूरे दिन बांधो पर रहेगी|