लखनऊ:समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद लखनऊ में मीडिया से बातचीत में 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा की। आम चुनाव के संभावित गठबंधन पर कहा कि अभी इस बारे में किसी से बात नहीं की। अभी बूथ स्तर पर सपा को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह जनादेश का स्वागत करते हैं। बोले-हमारा प्रदर्शन खास नहीं रहा लेकिन समर्थन करने के लिए मध्य प्रदेश की जनता का धन्यवाद करते हैं। सपा ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को समर्थन करने का फैसला किया है।
जनता की एकजुटता ने भाजपा बेदखल
अखिलेश यादव ने कहा था कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव परिणामों से साफ हो गया है कि जनता भाजपा की जाति-संप्रदाय की राजनीति से ऊब चुकी है। अब उनके बहकावे में नहीं आने वाली है। अखिलेश ने कहा कि इन राज्यों में जनता की एकजुटता ने भाजपा को सत्ता से बेदखल किया। मतदाताओं ने यह भी जता दिया है कि जब एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं तब बड़े-बड़ों की सत्ता नौ दो ग्यारह हो जाती है।
भाजपा की समाज तोड़ने में लगी सारी ताकत
सपा नेता ने कहा कि भाजपा ने चुनावों में समाज को तोड़ने और नफरत फैलाने में ही अपनी सारी ताकत लगा दी थी। उसने जनता के बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिशें कीं। भाजपा सत्ता के अंहकार में इतनी डूबी थी कि उसने किसानों, गरीबों, नौजवानों की आकांक्षाओं को ही कुचलना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इन चुनावों में जनता ने राज्य के सत्ता प्रतिष्ठानों के साथ केन्द्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी नाराजगी जताई है. इन चुनाव नतीजों का असर निश्चित रूप से अगले साल के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। भाजपा की जनविरोधी, विकास विरोधी एवं साम्प्रदायिक राजनीति को सपा उत्तर प्रदेश में करारी शिकस्त देगी।
भाजपा की हार किसानों की नाराजगी
अखिलेश ने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार किसानों व युवाओं की नाराजगी से हुई है। मीडिया को चाहिए कि वह किसानों की समस्या को अपने चैनल पर दिखाए। उन्होंने मोदी की जगह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आगे लाए जाने के सवाल पर हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि उन्होंने तो भगवान की भी जाति बता दी। योगी को बताना चाहिए कि किस भगवान ने उन्हें क्या दिया? ईवीएम से चुनाव करवाने पर उन्होंने कहा कि ये एक मुद्दा है जिसे देखने की जरूरत है। अमेरिका जैसे देशों ने भी ईवीएम को नहीं अपनाया। इस पर आगे बात करते रहेंगे।