भारत से दुनिया सीखे सर्वधर्म समभाव का सिद्धांत:दलाईलामा

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मैनपुरी:सोमवार को तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा मैनपुरी के जसराजपुर पहुंचे। यहां बने बौद्ध विहार का लोकार्पण करने के बाद अपने अनुयायियों को विश्वशांति पर प्रवचन दिया। उहोंने कहा कि दुनिया में इस समय शांति और अहिंसा की आवश्यकता है। भारत का सर्वधर्म समभाव का प्राचीन सिंद्धात इसके लिए कारगर है। शांति हर धर्म के लोगों को चाहिए। पूरे विश्व को इस सिद्धांत पर अमल करने की सीख भारत से लेनी चाहिए। यहां सदियों से विभिन्न धर्म- जाति के लोग अलग- अलग परंपराओं के साथ मिलजुल कर रह रहे हैं। भारत का यह सिद्धांत मुस्लिम देशों को विशेषकर सीखने की आवश्यकता है।
सोमवार की भोर यूं तो आम दिनों की भांति थी। समय पर सूर्योदय, सर्द सुबह में चिडिय़ों की चहचहाहट लेकिन इस सुबह में कुछ खास बात भी थी। वायु मंडल में विश्व शांति के उद्गार छाए हुए थे। दुनिया को भारत की विशेषता बताते हुए तिब्बती धर्मगुरु प्रेरक देश की संज्ञा दे रहे थे।
थाईलैंड के फूलों से सजे मंच से दे रहे प्रवचन
दलाईलामा के प्रवचन के लिए बनाया गया मंच थाईलैंड से आए विशेष प्रकार की दर्जनभर प्रजातियों के फूलों से सजाया गया है। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की सांस्कृतिक विरासत को मंच सज्जा के माध्यम से दर्शाया गया है। मंच सज्जा के लिए थाईलैंड की संस्था समुई बौद्ध मठ के भिक्षु मैत्रेय थैरो को दिया गया है। फूलों से मंच को सजाने के लिए थाईलैंड का 40 सदस्यीय दल रविवार शाम कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गया था।
64 फुट लंबा और 24 फुट चौड़ा होगा मंच
धर्मगुरु के हिंदी अनुवादक कैलाश बौद्ध ने बताया कि मंच पर चुनिंदा लोगों को ही प्रवेश दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 64 फुट लंबे व 24 फुट चौड़े मंच को सजाने के लिए हिमाचल प्रदेश से भी फूल मंगाए गए हैं।
क्या है बौधिचर्यावतार
दलाई लामा तीन दिन तक उपासकों को बौधिचर्यावतार विषय पर ज्ञान देंगे। वाईबीएस के महासचिव भंते उपनंद थैरो ने बताया कि बुद्ध होने से पूर्व की जाने वाली दिनचर्या को बौधिचर्यावतार कहा जाता है। उन्होंने बताया कि भगवान बुद्ध ने गृहस्थ जीवन में सुख समृद्धि पाने के लिए ज्ञान की बातों को बौधिचर्यावतार में ही बताया था। तीन दिन दलाई लामा बौधिचर्यावतार के 16 अध्यायों पर उपासकों से चर्चा करेंगे। 2015 में भी यहीं से दलाईलामा ने धम्म पद विषय पर प्रवचन किया था।
23 टीमों के जिम्मे व्यवस्था
दलाई लामा के कार्यक्रम के लिए आयोजन समिति ने विभिन्न 23 टीमें बनाई हैं। एक हजार वॉलंटियर्स वाली 23 टीमों के ग्रुप लीडर को व्यवस्था पर निगाह बनाए रखने के लिए जिम्मा दिया गया है। वॉलंटियर्स को पहचान के लिए अलग से पास जारी किए गए हैं। रविवार दोपहर प्रशासन ने वाईबीएस पदाधिकारियों के साथ वॉलंटियर्स को व्यवस्थाओं को संभालने के लिए जरूरी बातें बताई थीं।
दो जोन का फोर्स संभाल रहा सुरक्षा व्यवस्था
दलाईलामा की सुरक्षा का जिम्मा उनकी निजी सुरक्षा के अतिरिक्त दो जोन का फोर्स संभाल रहा है। स्थानीय प्रशासन के अतिरिक्त गृह मंत्रालय, इंटेलीजेंस व विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने सुरक्षा का जिम्मा संभाला हुआ है। इन टीमों के सहयोग के लिए आगरा व कानपुर जोन के तकरीबन 500 पुलिस कर्मी तैनात रहेंगे। इनके अतिरिक्त दो एएसपी, छह सीओ, 14 थानाध्यक्ष व एक कंपनी पीएससी के जवान सुरक्षा के मोर्चे पर तैनात हैं।
मिल रही इंटरनेट की तेज रफ्तार
दलाईलामा के कार्यक्रम में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर इंटरनेट सुविधा मुहैया कराने के लिए रिलायंस जीओ के तीन टॉवरों ने काम करना शुरू कर दिया है। मुंबई के विशेषज्ञों की निगरानी में रविवार को इंटरनेट की रफ्तार को परखा गया था। जीओ के नेटवर्क से ही दलाईलामा के कार्यक्रम को लाइव किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त पंडाल में जगह-जगह एलईडी स्क्रीन लगाई गई है।
तीन दर्जन देशों के अनुयायियों ने कराए हैं पंजीकरण
दलाईलामा के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रविवार की दोपहर तक तीन दर्जन देशों के उनके अनुयायी जसराजपुर व संकिसा के होटलों में पहुंच गए थे। यह सिलसिला अभी भी जारी है। विदेशियों ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अपना पंजीकरण करा दिया। इस कार्यक्रम में विदेशियों के लिए मैनपुरी, फर्रुखाबाद, एटा, कन्नौज के होटलों को बुक किया गया है। विदेशियों के लिए भोजन की व्यवस्था भी अलग की से की गई है। विदेशी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पूछताछ केंद्र बनाया गया है।
भोजन बनाने का जिम्मा 500 लोगों पर
कार्यक्रम में आने वाले उपासकों की भोजन व्यवस्था के लिए बड़ा एरिया कवर किया गया है। 500 कारीगर तीनों दिन उपासकों के लिए भोजन बनाएंगे। भोजन वितरण की कमान वाईबीएस वॉलंटियर्स संभालेंगे।
विशेष महत्व रखता है फर्रुखाबाद का संकिसा
बौद्ध धर्म के अनुयायियों में शांति का बोध कराने वाली आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत संजोने वाली धरती संकिसा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यहां भगवान बुद्ध का स्वर्ग से अवतरण हुआ था। यहीं पर उन्होंने अपनी मां को उपदेश दिया था।