नई दिल्ली:वर्ष करवाचौथ 27 अक्टूबर को है। कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवाचौथ का व्रत किया जाता है। सुहागिन महिलाओं के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है। करवाचौथ के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। कई संप्रदायों में कुवांरी कन्याएं भी अच्छे पति की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।
इस वार करवाचौथ पर शुक्र अस्त होगा। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जम्मू डुग्गर प्रदेश में शुक्र अस्त तारा डूबने को कहते हैं। शुक्र अस्त 16 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 53 मिनट पर पश्चिम में होगा। शुक्र अस्त में शुभ कार्य वर्जित होते हैं जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश आदि।
डुग्गर प्रदेश में जिनकी सगाई हो गई हो या नव विवाहित वर, लड़का, वधू, लड़की वाले दोनों पक्ष एक दूसरे पक्ष को करवाचौथ का त्योहार देते हैं और सुहागिन औरतें अपने सास-ससुर को। जिनके सास-ससुर नहीं हों वह औरतें अपने पति को करवाचौथ का त्योहार देती हैं, जिसमें वस्त्र, फल, नारियल, सुहाग की सामग्री, मिठाई, फेमिया, कत्ललमे, रुपये आदि सामग्री होती है।
शुक्र अस्त होने के कारण जिनकी सगाई हो गई हो अथवा नव विवाहित दोनों पक्ष करवाचौथ का त्योहार 16 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 53 मिनट के पहले दे सकते हैं। सुहागिन औरतें करवा चौथ की सामग्री जो खराब न होनी हो, उसको 16 अक्टूबर से पहले खरीद कर रख सकती हैं। 27 अक्टूबर को करवाचौथ का पूजन कर शुभ मुहूर्त में अपने सास-ससुर को या पति को करवाचौथ का त्योहार देंगी। शुक्र अस्त होने के कारण इस वर्ष करवाचौथ व्रत का उद्यापन नहीं होगा। यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के बाद इस व्रत का मौख, उपसंहार किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियां आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। जम्मू में 27 अक्टूबर को चंद्र दर्शन रात करीब 8 बजकर 2 मिनट पर होंगे।
इस वर्ष 9 अक्टूबर को पितृ पक्ष, श्राद्ध खत्म हुए और 16 अक्टूबर को शुक्र अस्त हो रहा है। समय की कम अवधि होने के कारण करवाचौथ की खरीदारी नहीं हो पा रही है। शुक्र उदय तारा चढ़ने को कहते हैं और शुक्र उदय 1 नवंबर 2018 को होगा। करवाचौथ को लेकर अभी से बाजार सजने लगे हैं और दुकानों में रौनक दिखने लगी है। बाजारों में महिलाओं की भीड़ बढ़ने लगी है।