लखनऊ:विपक्ष के महागठबंधन होने और न होने की अटकलों के बीच भाजपा ने उप्र में वोटों के बिखराव की भूमिका रचनी शुरू कर दी है। समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के शिवपाल सिंह यादव की अगुआई में छोटे दलों की जुटान और पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह के नए दल के गठन को इसी रूप में देखा जा रहा है। विपक्ष का गठबंधन हो या न हो लेकिन, भाजपा अपने इस फार्मूला से 73 से ज्यादा सीटें जीतने के मिशन में जुट गई है।
बीती मार्च में गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपचुनाव में विपक्ष के गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी को जबर्दस्त झटका दिया और तभी से महागठबंधन भाजपा के लिए चुनौती बना है। भाजपा की गोरखपुर और फूलपुर से शुरू हुआ पराजय का सिलसिला कैराना और नूरपुर के उपचुनाव तक चला। यद्यपि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने पड़ोसी राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन न करने का एलान कर भाजपा को थोड़ी राहत जरूर दी लेकिन, इन दोनों के गठबंधन की संभावना समाप्त नहीं हुई है। इनकी काट के लिए भाजपा के नियंता एक तरफ जातीय गोलबंदी में पूरी ताकत से जुटे हैं और दूसरी तरफ विपक्ष के विद्रोहियों को ताकत देने में लगे हैं।
प्रतापगढ़ के कुंडा क्षेत्र के निर्दल विधायक रघुराज प्रताप सिंह का लंबे समय से समाजवादी पार्टी के साथ गठजोड़ रहा है लेकिन, पिछले राज्यसभा के चुनाव में रघुराज ने सपा-बसपा गठबंधन को झटका दे दिया था। लिहाजा बसपा के भीम राव अंबेडकर राज्यसभा में जाते-जाते रह गए थे।
बनेगा छोटे दलों का बड़ा मोर्चा
रघुराज प्रताप सिंह अब अपनी नई पार्टी बनाने के लिए चुनाव आयोग में अर्जी डाल चुके हैं। रघुराज प्रताप सिंह के कई जिलों में समर्थक हैं और तय है वह विपक्ष को ही क्षति पहुंचाएंगे। समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाकर लगभग हर जिले में अपना संगठन खड़ा कर चुके पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव को भाजपा पूरी ताकत दे रही है। सरकार ने हाल में शिवपाल को एक बड़ा बंगला देकर उपकृत किया है। यह बंगला उनकी राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा। शिवपाल सपा को कमजोर करने के लिए छोटे-छोटे दलों को जोडऩे में सक्रिय हैं। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू अपर्णा यादव भी शिवपाल के साथ खड़ी हो गई हैं। हालांकि सियासी समीकरण बनाने को शिवपाल मंचों से भाजपा पर हमलावर भी हैं। राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष गोपाल राय के जरिये उन्होंने शनिवार को राजधानी में दो दर्जन दलों की जुटान कर एक बड़ा मोर्चा बनाने की राह आसान कर दी।
उधर, बुंदेलखंड में सक्रिय बुंदेला राज परिवार के चंद्रभूषण सिंह उर्फ राजा बुंदेला ने भी एक मोर्चा बनाने का एलान कर बुंदेलखंड का सियासी पारा चढ़ा दिया है। जाहिर है कि इन छोटे-छोटे क्षत्रपों की एकजुटता से विपक्ष के ध्रुवीकरण को ही झटका लगेगा। पश्चिमी उप्र में भीम आर्मी के चंद्रशेखर के उभार को भी भाजपा अपने अनुकूल बनाने में जुटी है।
दूसरे दलों के मजबूत कार्यकर्ताओं को जोडऩे पर जोर
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने अपने कार्यकर्ताओं को सपा, बसपा और कांग्रेस मुक्त बूथ बनाने का लक्ष्य दिया है। इसके लिए विपक्ष के ताकतवर कार्यकर्ताओं को तोड़कर भाजपा से जोडऩे की जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा 2014 को दोहराने के लिए यह उपक्रम कर रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में उप्र में भाजपा को 71 और गठबंधन में शामिल अपना दल को दो सीटें मिली थीं। खास बात यह कि 26 सीटों पर सपा, बसपा और कांग्रेस को मिले मतों से भी ज्यादा मत भाजपा को मिले थे। सात सीटों पर भाजपा इन तीनों दलों से कुछ ही पीछे थी। रायबरेली, अमेठी, आजमगढ़, बदायूं, मैनपुरी, फीरोजाबाद और कन्नौज में भाजपा हारी थी। अब गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में भी विपक्ष का कब्जा है। भाजपा इन क्षेत्रों में भी विपक्ष के ही ताकतवर नेताओं को तोडऩे की मुहिम में है।