नई दिल्लीअहिंसा का मार्ग दिखाने वाले 51 वर्षीय जैन मुनि तरुण सागर महाराज ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। कृष्णा नगर स्थित राधेपुरी में जैन मंदिर के पास महाराज ने अपने चातुर्मास स्थल पर शनिवार सुबह 3 बजकर 18 मिनट पर देह त्याग दी। महाराज काफी लंबे समय से तेज बुखार और पीलिया की बीमारी से जूझ रहे थे। देह त्यागने से एक दिन पहले महाराज ने औषधि त्याग दी थी। अन्य जैन मुनियों के कहने पर गत शुक्रवार को उन्हाेंने थोड़ा बहुत आहार लिया था।
अंतिम यात्रा में भारी भीड़
महाराज की अंतिम यात्रा सुबह 8 बजे राधेपुरी से शुरु हुई जो शाहदरा, दिलशाद गार्डन होते हुए दोपहर बाद उत्तर प्रदेश के मुरादनगर स्थित जैन आश्रम में समाप्त हुई। महाराज का पार्थिव शरीर उनके सिंहासन पर रखा हुआ था, जिसे लोगों ने अपने कांधों पर उठाया हुआ था। इस अंतिम यात्रा में देश के अलग-अलग राज्यों से आए श्रद्धालु जिसमें बुजुर्ग, युवा, महिलाएं, बच्चें व जैन मुनि शामिल हुए।
फूट-फूटकर रो रहे थे श्रद्धालु
अंतिम यात्रा में महाराज अमर रहे के नारे गुंज रहे थे। हर किसी की अांखें नम थीं, बहुत से श्रद्धालु फूट-फूटकर रो रहे थे। श्रद्धालुओं ने कहा कि महाराज के जाने पर आसमान भी जमकर रोया। यमुनापार में तड़के सुबह से ही तेज बारिश हो रही थी, बारिश में ही अंतिम यात्रा निकाली गई। अंतिम यात्रा के कारण जगह-जगह जाम भी लगा।
कड़वे प्रवचन के लिए हुए मशहूर
गत शुक्रवार की रात करीब एक बजे महाराज का स्वास्थ्य काफी बिगड़ गया था, वह डॉक्टरों की देखरेख में थे। लेकिन महाराज ने पहले ही इच्छा जाहिर कर दी थी कि वह किसी भी प्रकार औषधि नहीं लेंगे और अंत में तीन बजे के आसपास उन्होंने देह त्याग दिया। इससे पहले तरुण क्रांति मंच की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें यह तय किया गया कि महाराज का अंतिम संस्कार मुरादनगर के तरुण सागरम तीर्थ में होगा। बता दें महाराज ने हरियाणा व दिल्ली विधानसभा और लाल किले के मंच से भी कड़वे प्रवचन दिए थे।
राधेपुरी में किया जीवन का अंतिम चातुर्मास
महाराज ने अपने जीवन का अंतिम चातुर्मास राधेपुरी में जैन मंदिर के पास बने जैन समुदाय के घर में किया। जानकारी के अनुसार महाराज का गत 27 जुलाई से राधेपुरी में चातुर्मास चल रहा था। गत 13 अगस्त को उनके स्वास्थ्य का हाल चाल लेने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव भी पहुंचे थे। गत वर्ष महाराज ने चातुर्मास राजस्थान के सीकर में किया था। इसी चातुर्मास के दौरान उनकी तबीयत खराब होनी शुरु हो गई थी।
अस्पतातल में कई दिनों तक रहे भर्ती
राधेपुरी में चातुर्मास के बीच महाराज की तबीयत ज्यादा बिगड़ने के कारण उन्हें श्रद्धालुओं ने वैशाली के मैक्स अस्पताल में भर्ती करवाया। करीब 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद भी हालात में कोई सुधार न होने के कारण पुन: राधेपुरी चार्तुमास स्थल पर 30 अगस्त को ले आया गया। उन्होंने अपने शिष्यों व श्रद्धालुओंं से इच्छा जाहिर की थी कि वह संथारा लेना चाहते। 31 अगस्त को उन्होंने खाना पीना छोड़ दिया था। जब यह सूचना अन्य जैन मुनियों को लगी तो वह राधेपुरी पहुंचे और उन्होंने महाराज को समझाया कि वह समाज को उनकी जरूरत है। वह इस तरह का फैसला अभी न लें। जैन मुनियों के समझाने पर उन्होंने थोड़ा बहुत खाना खाया था।