लखनऊ:गुजरात चुनाव के परिणाम से प्रदेश कांग्रेस में उत्साह नहीं है, लेकिन मायूसी कम है। भाजपा को तीन अंकों तक नहीं पहुंचने देने का श्रेय राहुल गांधी को देते हुए कांग्रेसियों का मानना है कि अब यूपी में मजबूती से लड़ाई होगी। वर्ष 2019 में भाजपा को यूपी में ही घेरने को रणनीति बदलने की पैरोकारी करने वालों को कहना है कि संगठन की मजबूती के साथ साफ्ट हिंदुत्व को ही आजमाने और पार्टी का यूथ एजेंडे में बदलाव जरूरी है।
कांग्रेस मुख्यालय में सोमवार को भी आम दिनों जैसे हालात थे। गुजरात की चुनावी समीक्षा के साथ प्रदेश में पार्टी के भविष्य को लेकर चिंता जताई जा रही थी। गुजरात में भाजपा को हरा न पाए तो थका देने का भी सुकून रहा। प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर का कहना है कि नतीजे चाहे जो रहे हो परंतु कांग्रेस में नए उत्साह का संचार हुआ। राहुल गांधी का नेतृत्व जिस तरह निखरा है, उसका लाभ कांग्रेस को निश्चित तौर पर मिलेगा।प्रदेश में कांग्रेस के लिए मिशन 2019 की तैयारी आसान होगी क्योंकि गुजरात माडल का भ्रम खत्म हो गया है। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही नए संगठन को तैयार किया जाएगा। दिल्ली में संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने के बाद आगामी तैयारी होगी।
फ्रंटल संगठनों की सक्रियता जरूरी: प्रदेश में कांग्रेस की मजबूती को मुख्य संगठन के साथ ही फ्रंटल इकाइयों की सक्रियता बढ़ाने की जरूरत है। युवाओं को जोड़ने के लिए बाहरी कंधे तलाश करने के बजाए अपने कार्यकर्ताओं को आगे लाने की पैरोकारी करते हुए पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र का कहना है कि युवाओं व छात्रों के बीच पैठ बढ़ाने के लिए रणनीति बनानी होगी, जिस पर गंभीरता से अमल करना कांग्रेस की वापसी के लिए जरूरी है।
धुव्रीकरण का मौका न दें: गुजरात में आजमाए साफ्ट हिंदुत्व फॉर्मूले को यूपी में भी आजमाने की वकालत करते हुए प्रदेश सचिव रामप्रकाश सिंह का कहना है कि भाजपा को धुव्रीकरण का मौका न मिलेगा तो वह खुद-व-खुद कमजोर हो जाती है। नोटबंदी व जीएसटी जैसे मुद्दों के बजाए अन्य मसलों पर फोकस करना अधिक फायदेमंद होगा। आम कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच बढ़े फासले कम करने की कार्ययोजना अमल में लानी होगी।