35 मिनट तक जलते रहे एडीएम

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मालेगांव|| महाराष्ट्र के मनमाड में तेल माफिया को चुनौती देने वाले मालेगांव के अपर जिलाधिकारी (एडीएम) यशवंत सोनावणे करीब 35 मिनट तक धू-धू कर जलते हुए चिल्लाते रहे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। पुलिस के अनुसार सोनावणे के निजी सहायक (पीए) राजेंद्र काले और ड्राइवर कैलाश गवली ने माफिया के डर की वजह से उनकी मदद नहीं की। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो सोनावणे को सरकारी अस्पताल ले जाया गया, मगर तब तक उनका शरीर 90 फीसदी जल चुका था और उन्होंने दम तोड़ दिया था।

सोनावणे को मंगलवार को स्थानीय तेल माफिया पोपट शिंदे ने दिनदहाड़े किरोसीन डालकर जिंदा जला दिया था। इस घटना से ठीक पहले एडिशनल कलेक्‍टर जब मनमाड के काले कारोबार के अड्डे ढोंडाल्वाड़ी पहुंचे तो उन्होंने देखा कि ऑयल डिपो में पेट्रोल और डीजल में किरोसीन मिलाने का काम चल रहा था।

सोनावणे के पीए का कहना है कि सोनावणे ने सबूत के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए शिंदे के काले कारोबार की वीडियो बनानी शुरू कर दी। इस बीच, उन्होंने पुलिस को भी सूचना दे दी थी। मालेगांव के एडीएम रहे सोनावणे के कार्यक्षेत्र में नासिक जिले का मनमाड इलाका भी पड़ता है। गौरतलब है कि मनमाड में तेल कंपनियों इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम के तेल डिपो और दफ्तर हैं।

इस घटना में बुरी तरह जल चुके शिंदे की पत्नी की करीब दस दिनों पहले मौत हो गई थी। मंगलवार की दोपहर शिंदे अपने घर पर शोक मना रहे रिश्तेदारों के साथ था। तभी उसे सूचना मिली कि इलाके में ढाबे पर एडीएम सोनावणे रुके हुए हैं और वीडियो बना रहे हैं। शिंदे तुरंत मौके पर पहुंचा और सोनावणे से बहस करने लगा और फिर किरोसीन से भरा कनस्तर एडीएम के ऊपर उड़ेलकर आग लगा दी।

आग लगने के बाद भी सोनावणे हमलावरों से जूझ रहे थे और उनमें से एक पोपट शिंदे को कस कर पकड़े हुए थे। इससे शिंदे भी सोनावणे को लगी आग की चपेट में आ गया। सोनावणे को जलाने वाले अभियुक्त पोपट शिंदे को उसके साथी गाड़ी में अस्पताल ले गए, जिससे उसकी जान बच गई। मामले की जांच कर रहे मनमाड़ के सहायक पुलिस निरीक्षक डी.के. थोबाड़ के अनुसार जिस वक्त शिंदे के आदमी उसे सोनावणे की पकड़ से छुड़ाने का प्रयास कर रहे थे, सोनावणे का पीए और ड्राइवर पास ही थे।

इसके बावजूद उन्होंने सोनावणे को बचाने की कोशिश नहीं की। वे इधर-उधर दौड़ते रहे। वे इस बात से डर गए थे कि माफिया के लोग संख्या में उनसे ज्यादा थे। हालांकि घटना के बाद ड्राइवर 17 किलोमीटर दूर नंदगांव से पुलिस को बुलाने के लिए गाड़ी लेकर गया। पुलिस बीच में ही उसे मिल गई, तो वह उसे घटनास्थल तक लेकर पहुंचा। इसमें करीब 35 मिनट का समय लग गया।

महाराष्ट्र के तेल माफियाओं पर शिकंजा, 180 गिरफ्तार

गुरुवार को महाराष्ट्र के करीब 200 जगहों पर महाराष्ट्र सरकार ने तेल में मिलावट के कारोबार पर लगाम कसने के मकसद से छापेमारी की कार्रवाई की। इस कार्रवाई में अब तक 180 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उधर, बुधवार रात पुलिस ने यशवंत सोनावणे की हत्या के आरोप में चार और लोगों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में अब तक 11 लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। नासिक के एसपी मिलिंद भारांबे ने इन गिरफ्तारियों की पुष्टि की है। मनमाड के डीएसपी समाधान पवार ने कहा है कि इस मामले में रसूखवाले लोगों के भी शामिल होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

हत्या के आरोप में गिरफ्तार लोगों में पोपट शिंदे के अलावा शिंदे के साले सीताराम बालेराव और सहायक राजू शिरसत, काचरू सुरोद, विकास शिंदे, दीपक बोरास, तौसिफ शेख और अल्ताफ शेख शामिल हैं। इन लोगों को आठ फरवरी तक पुलिस हिरासत में रखा जाएगा। बुधवार को इन सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां इन्हें पुलिस हिरासत में रखने का आदेश दिया गया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी वादा किया है कि वह इस मामले की तह तक जाएंगे। इसके अलावा उन्होंने उन लोगों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था जो तेल के मिलावट के काम में लगे हुए हैं।

‘सोनावणे की मौत सरकार को माफियाओं की चुनौती’

यशवंत सोनावणे की मौत से देश गुस्से में है। आम आदमी से लेकर देश का बुद्धिजीवी तबका तक कानून के राज को भ्रष्ट तंत्र से मिल रही चुनौती से चिंतित है। समाजशास्त्री और प्रोफेसर सत्यमित्र दुबे का कहना है, ‘सोनावणे को सरेआम जलाकर मार डालना पूरे शासन और प्रशासन को माफिया की खुली चुनौती है। किसी भी सभ्य देश में ऐसा शासन नहीं चल रहा है, जैसा भारत में है। यह घटना देश की हालत बयान करने के लिए पर्याप्त है, जहां माफिया, भ्रष्टाचारी पूरे शासन पर हावी हैं। दुबे ने कहा कि पूरे देश में अनिर्णय की स्थिति है। यदि तेल माफिया पर पहले ही लगाम कस दी गई होती तो शायद सोनवणे आज जीवित होते।’

सत्यमित्र दुबे का कहना है, ‘इसके पहले इंडियन ऑयल के अधिकारी एस. मंजूनाथन भी तेल माफिया के ही शिकार हुए थे। ईमानदार अधिकारी, नागरिक आदि के लिए वर्तमान सिस्टम में कोई जगह नहीं है। कानून का राज है, अब इसमें भी शंका होने लगी है। यदि कहा जाए कि शासक वर्ग भ्रष्टाचारियों का गिरोह बन गया है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। भ्रष्टाचार को लेकर विदेशों में भारत की छवि काफी खराब हो गई है।’