लखनऊ. डॉ महेन्द्र नाथ पांडेय यूपी बीजेपी के अध्यक्ष बनाए गए है। मौजूदा वक्त में डॉ महेन्द्र नाथ पांडेय शिक्षा राज्य मंत्री के तौर पर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इससे पहले पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कैबिनेट विस्तार में शिक्षा राज्य मंत्री के तौर पर शामिल हुए थे। बता दें, 1 सितंबर को मथुरा में आरएसएस की होने वाली मीटिंग के पहले ही बीजेपी ने ये फैसला लिया। ब्राह्मणों को साधने की कोशिश…
जानकारों के मुताबिक,यूपी में कलराज मिश्रा के अलावा कोई सर्वमान्य ब्राह्मण नेता बन नहीं पाया। लक्ष्मीकांत बाजपेई को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वह काफी मेहनती भी रहे,लेकिन उनके ऊपर पश्चिमी यूपी की छाप लगी रही। ऐसे में इस बार पूर्वांचल के नेता को बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी गयी। यूपी में 8 से 9 फीसदी ब्राह्मण वोट हैं। इसलिए 2019 में बीजेपी इन्हें अपनी ओर खींचना चाहती है।अभी हाल ही में गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी के हाते में हुई पुलिसिया कार्रवाई की गय,उससे भी ब्राह्मण नाराज था। इस मामले के बाद से ब्राह्मण समाज में कुंठा घर करने लगी थी।
रायबरेली में पांच ब्राह्मणों की हत्या के बाद से योगी सरकार के खिलाफ ब्राह्मणों में काफी गुस्सा हो गया था. हालांकि योगी सरकार इस मामले को आपसी रंजिश का ही मामला बताती रही। जबकि इस मामले में योगी के एक मंत्री पर ही साजिश के आरोप लगने लगे थे।इन तमाम घटनाओं के बाद से योगी सरकार के खिलाफ ब्राह्मणों में एक माहौल बनना शुरू हो गया था। यूपी में सरकार ठाकुरों की है, ऐसे में डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय को यूपी के ब्राहमणों को मैनेज करने की एक कवायद भर मानी जा रही है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की आहट के साथ भाजपा के प्रभावशाली क्षत्रप यूपी की राजनीति में बैटिंग-फील्डिंग में जुट गए हैं। एक तबका यूपी के कोटे से केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल दो सदस्यों को आउट करने के लिए फील्डिंग सजाए हुए है। जातीय, क्षेत्रीय, उम्र और परफॉरमेन्स का हवाला देकर पीएम नरेन्द्र मोदी से आउट की अपील (मांग) हो रही है। कहा जा रहा है कि पीएम ने आउट की अपील स्वीकारने से पहले सहयोगी अंपायर (भाजपा अध्यक्ष) अमित शाह से मश्विरा किया है। अब कैबिनेट के तीसरे विस्तार में यूपी के दो मंत्रियों के आउट होने का निर्णय सुनाया जा सकता है।
संघर्षशील नेता के तौर पर है उनकी छवि
डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय की छवि बेहद संघर्षशील नेता की है। डा. महेंद्रनाथ पांडेय भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चंदौली से 2014 में लोकसभा सदस्य चुने गये। इससे पहले वो मेंबर कमेटी आफ रूरल डेवलपमेंट तथा मेंबर आफ बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के सदस्य हैं। छात्र जीवन से ही RSS से जुड़े रहने के साथ समाज सेवा में सक्रिय रहे। कार्य के प्रति समर्पण भाव और जीवटता की लंबी दास्तां है।
राम जन्म भूमि आंदोलन में भागीदारी
-आपातकाल में डॉ. पाण्डेय पांच माह डीआरडीए के तहत जेल भेजे गए। प्रथम रामजन्म भूमि आंदोलन में मुलायम सरकार में उन पर रासुका लगाया था।
1991 में बने विधायक फिर हुए मंत्री
-पहली बार वर्ष 1991 में वह भाजपा के टिकट पर विधायक बने। भाजपा सरकार में डॉ. पाण्डेय नगर आवास राज्य मंत्री, नियोजन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रदेश में पंचायती राज मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी रहे। भाजपा के संगठन में उन्हें क्षेत्रीय अध्यक्ष समेत प्रदेश के महामंत्री का पदभार सौंपा।
लोकसभा चुनाव में मिले 4 लाख 14 हजार 134 वोट
-आरएसएस से जुड़े डॉ. पाण्डेय को 16वीं लोकसभा में चंदौली से भाजपा ने टिकट दिया। इसमें उन्हें 4 लाख 14 हजार 134 वोट मिले। वहीं दूसरे नंबर पर रहे बसपा के अनिल मौर्य को मात्र 2 लाख 57 हजार 379 वोट ही मिले।
पत्रकारिता में मास्टर डिग्री, पीएचडी
गाजीपुर (सैदपुर) के पखनपुर गांव के रहने वाले डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय (15 अक्टूबर 1957 को जन्म) वाराणसी के विनायका के सरस्वती नगर में हुआ था। एमए, पीएचडी के साथ ही मास्टर ऑफ जर्नलिज्म की भी डिग्री उन्होंने हासिल की। उनकी पूरी शिक्षा-दीक्षा वाराणसी में हुई है।
बीएचयू छात्रसंघ महामंत्री की कमान
-सीएम एंग्लो बंगाली इंटर कालेज में वह 1973 में अध्यक्ष चुने गए। इसी कड़ी में वह 1978 में बीएचयू के महामंत्री बने।