नई दिल्ली: राज्यसभा चेयरमैन ने गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायवती का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। इससे पहले तकनीकी खामियों के चलते उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया था जिसके चलते मायावती ने आज दोबारा से राज्यसभा चेयरमैन को इस्तीफा सौंपा था।
मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वह सहारनपुर में दलित विरोधी हिंसा पर सदन में अपनी बात नहीं रखने देने से नाराज थी। इसी के चलते उन्होंने त्यागपत्र दिया था। मायावती ने मंगलवार शाम को सभापति हामिद अंसारी से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा था। उन्होंने तीन पेज में अपना इस्तीफा सौंपा है। पत्र में उन्होंने मुख्य रूप से दो बातों पर आपत्ति जताई है। एक-उन्हें सत्ता पक्ष के मंत्रियों और सदस्यों ने सदन में बोलने से रोका। दूसरा-कार्य स्थगन के नोटिस पर बोलने के लिए तीन मिनट की समय सीमा किसी नियम में तय नहीं है।
दलितों का मुद्दा उठाया था
मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर बसपा प्रमुख ने सहारनपुर में दलितों के खिलाफ हिंसा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नियम 267 के तहत उन्होंने नोटिस दिया है, इसलिए इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की जाए। उन्होंने इस मुद्दे पर बोलना शुरू किया लेकिन उपसभापति ने कहा कि वे तीन मिनट में अपनी बात खत्म करें। मायावती ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है, जिसके लिए उन्हें अधिक समय चाहिए।
अनुमति नहीं मिली
मायावती के ज्यादा वक्त मांगने पर उपसभापति ने कहा कि नियम 267 के तहत जब तक उनके नोटिस पर निर्णय नहीं हो जाता तब तक चर्चा की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसके तहत अन्य कामकाज को निलंबित कर तुरंत चर्चा का प्रावधान है लेकिन बसपा प्रमुख उनकी बात से संतुष्ट नहीं हुईं।