म्यूजिक सुनना एक ऐसी एक्टिविटी है, जिसे सुनकर महसूस करने की प्रक्रिया में दिमाग को भी शामिल होना पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि म्यूजिक सुनना सेहत के लिए कई मायनों में लाभकारी हो सकता है, लेकिन ज्यादा लाउड म्यूजिक सुनने से ध्यान भंग भी हो सकता है।
दर्द निवारकहै
म्यूजिक पेन मैनेजमेंट यानी दर्द को नियंत्रित करने में बहुत कारगर साबित हो सकता है। म्यूजिक से दर्द के कारण होने वाले तनाव और ऑपरेशन के बाद होने वाले दर्द को कम करने में मदद मिलती है। ब्रिटेन के जर्नल ऑफ एडवांस नर्सिग२९ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार म्यूजिक सुनने से ऑर्थराइटिस जैसे हड्डियों के विकार से होने वाले दर्द और डिप्रेशन से क्रमश: २१ फीसदी और २५ फीसदी निजात मिल सकती है। कई अस्पतालों में भी म्यूजिक थैरेपी का प्रयोग मरीजों की जल्दी रिकवरी के लिए किया जाता है। इससे मरीजों को मेडिकेशन की आवश्यकता भी कम पड़ती है। म्यूजिक से शरीर में एंडॉर्फिन नामक हार्मोन सक्रिय होता है, जो नैचुरल पेन किलर के समान काम करता है। वहीं म्यूजिक सुनने से पीड़ित को दर्द की तरफ से ध्यान हटाने में भी मदद मिलती है और उसमें दर्द को नियंत्रित करने का सेंस विकसित होता है।
इम्युनिटी बढ़ती है
वैज्ञानिकों का दावा है कि विशेष प्रकार का म्यूजिक आशावादी और सकारात्मक बनाता है और भावनात्मक रूप से मजबूती देता है। वहीं इम्युन सिस्टम को बूस्ट करने वाले हार्मोन्स को भी सक्रिय करता है, जिससे पीड़ित के शरीर की कमजोरी दूर होती है। एक शोध के अनुसार लाइट म्यूजिक सुनने या गुनगुनाने से स्ट्रेस के लिए जिम्मेदार कार्टिसोल हार्मोन के स्तर में कमी आती है। यदि कार्टिसोल के स्तर में कमी आएगी तो यकीनन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी और बाहरी संक्रमणों व विभिन्न बीमारियों से बचाव होगा।
स्मार्ट बनाता है
यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के साइकोलॉजी विभाग के ग्लेन शेलेनबर्ग का कहना है कि म्यूजिक सुनने से व्यक्ति के बौद्धिक और आईक्यू स्तर में बढ़ोतरी होती है। व्यक्ति की फोकस करने की क्षमता बढ़ती है, जिससे वह म्यूजिक न सुनने वालों की तुलना में चीजों को जल्दी सीख लेता है। विशेषज्ञों के अनुसार म्यूजिक सुनना और इसके इंस्ट्रूमेंट्स बजाने से सीखने की क्षमता इसलिए बढ़ती है, क्योंकि इससे दिमाग की कार्यप्रणाली में तेजी आती है। दिमाग की सक्रियता का व्यावहारिक सक्रियता से सीधा संबंध होता है। वहीं एक अन्य शोध में यह भी सामने आया है कि म्यूजिक सुनने से बच्चों में गणित और रीजनिंग जैसे विषयों की प्रतिभा विकसित होती है और इसके सवालों को सुलझाने में कम समय लेते हैं।
मूड अच्छा होगा
एक शोध के अनुसार म्यूजिक सुनने से व्यक्ति अच्छा महसूस करता है। मोजार्ट, विवाल्डी, ब्लूग्रास, क्लेजमर, सालसा, रेगी जैसे चीयरफुल म्यूजिक व्यक्ति का दुख कम करने में मदद करते हैं और खराब मूड को बेहतर बनाते हैं। यह म्यूजिक डिप्रेशन से पीड़ित लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है। इससे नकारात्क विचारों से व्यक्ति का ध्यान हटाता है और दिमाग में चल रही वैचारिक उथल-पुथल में भी शांति मिलती है।
स्मरण शक्ति बढ़ती है
म्यूजिक से व्यक्ति की याददाश्त में भी बढ़ोतरी होती है। एक शोध के अनुसार मोजार्ट्स म्यूजिक और बैरोक्यू म्यूजिक ६क् बीट्स प्रत्येक मिनट सुनने से व्यक्ति की कार्यक्षमता में आश्चर्यजनक तरीके से सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार म्यूजिक दिमाग के दाएं और बाएं दोनों ही हिस्सों की सक्रियता बढ़ाने में मदद करता है। इससे कोई भी इन्फॉर्मेशन या जानकारी मिलते ही दिमाग उसे समझने के लिए तेज गति से काम करने लगता है। इतना ही नहीं, म्यूजिक पुरानी या बीते समय की बातचीत को भी याद रखने में सहायक है। विशेषज्ञों का कहना है कि क्लासिकल म्यूजिक सुनने की तुलना में इसका प्रशिक्षण लेने से बेहतर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। जो बच्चे शुरुआत से ही म्यूजिक सीखते हैं उनकी मेमोरी म्यूजिक न सीखने वाले बच्चों की तुलना में कहीं बेहतर होती है। सीखने की क्षमता या याददाश्त में बढ़ोतरी करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि म्यूजिक में वोकल कंपोनेंट यानी शब्द न हों।