फर्रुखाबाद: राजनीति कभी किसी की सगी नही हुई| एक पल में सड़क से आसमान और आसमान से जमीन पर लाने की छमता राजनीति में है| इसमे एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखना पड़ता है| यदि नही फूंका तो पैर डगमगाने में जरा भी समय नही लगता| यही कुछ सपा विधायक अजीत कठेरिया के साथ भी हुआ| जिससे उन्हें अपना टिकट ही गबाना पड़ा|
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान अजीत कठेरिया ने जिला पंचायत अध्यक्ष की टिकट के लिये भीतर ही भीतर अपने कई शुभचिंतको के साथ भीतरघात किया| जिसमे एक नाम अमृतपुर विधायक नरेन्द्र सिंह यादव का भी था| उन्होंने अजीत की पत्नी सगुना देवी को अध्यक्ष बनबाने के लिये अर्स से फर्श तक लड़ाई लड़ी| लेकिन अंत में उन्हें भी विश्वासघात ही मिला| यह बात सर्वजनिक मंच पर तो कोई कहने को तैयार नही था| लेकिन हकीकत क्या थी यह सभी जानते है| नरेन्द्र से भितरघात करने और शिवपाल सिंह यादव के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही अजीत की टिकट पर कैची चलने की सम्भावना तेज हो गयी थी| वही विधान सभा क्षेत्र में विकास के नाम पर भी केबल जनता को पांच सालो तक झूठे वादे ही नजर आये | सपा सरकार की योजनायें का भी विकास क्षेत्र में ठीक से ना करा पाने की शिकायते भी आला कमान से होने की खबर कई बार फैली|
बुधवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को 325 विधान सभा प्रत्याशियों की सूची जारी की है| जिसमे उन्होंने कायमगंज विधान सभा का टिकट अजीत कठेरिया को ना देकर रामशरण कठेरिया को कायमगंज का प्रत्याशी बनाया है| वही पार्टी सूत्रों की माने तो खबर तो यंहा तक है कि 6 बार से अमृतपुर विधान सभा से विधायक नरेन्द्र सिंह का नाम अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव दोनों की ही विधान सभा प्रत्याशी की चयनित सूची में है|