हिंदी को वैश्विक करना मुख्य उद्देश्य
विश्व हिन्दी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए जागरुकता लाना है। विदेशों स्थित भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। इसे अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में विकसित करने और विश्व हिन्दी सम्मेलनों के आयोजन को संस्थागत व्यवस्था प्रदान करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना का निर्णय लिया गया।
इसकी संकल्पना 1975 में नागपुर में आयोजित पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान की गई जब मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री सर शिव सागर रामगुलाम ने मॉरीशस में विश्व हिन्दी सचिवालय स्थापित करने का प्रस्ताव किया।
भारत में 54 करोड़ लोग हैं हिंदीभाषी
भारत में 54 करोड़ और विश्व के अन्य देशों में 2 करोड़ लोग हिंदीभाषी हैं। नेपाल में 80 लाख, दक्षिण अफ्रीका में 8.90 लाख, मारिशस में 6.85 लाख, संयुक्त राज्य अमेरिका में 3.17 लाख, यमन में 2.33 लाख, युगांडा में 1.47 लाख, जर्मनी में 0.30 लाख, न्यूजीलैंड में 0.20 लाख व सिंगापुर में 0.05 लाख लोग हिंदी बोलते हैं। यूके और यूएई में भी बड़ी संख्या में हिंदीभाषी लोग निवास करते हैं। विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी का स्थान दूसरा है।
हिन्दी : आंकड़ों की नजर से
एक अनुमान के अनुसार 2050 तक हिन्दी बोलने वालों की संख्या 2 बिलियन पार कर जाएगी। इसके पीछे कई कारण हैं। मसलन, भारत की जनसंख्या 1.6 बिलियन के पार होगी। इनमें से 95 फीसदी जनसंख्या हिन्दी बोलने वालों की होगी। 50 फीसदी की मौलिक भाषा होगी और 45 फीसदी की द्वितीय भाषा होगी। इसी तरह पाकिस्तान व बांग्लादेश की कुल जनसंख्या 600 मिलियन से ज्यादा होगी। इनमे से 5 फीसदी की मौलिक व 75 फीसदी की द्वितीय भाषा होगी। इस तरह भारतीय उपमहाद्वीप में हिंदी (उर्दू) बोलने वालों की संख्या 1.9 बिलियन के आसपास होगी।