अमूमन ठंडी हवा चलने पर रिकार्ड किए गए न्यूनतम तापमान के अनुपात में सर्दी अधिक महसूस होती है। इसी कंपकंपी को नापने के लिए मौसम विभाग ने नया तरीका इजाद किया है। विभाग अब वास्तविक तापमान के साथ-साथ महसूस होने वाला तापमान भी बताएगा। इस तापमान का नाम फेल्ट मिनिमम टेम्पेरेचर यानी महसूस होने वाला न्यूनतम तापमान रखा गया है।
फिलहाल यह प्रयोग दिल्ली में होगा, इसके बाद देशभर में भी इसे लागू कर दिया जाएगा। अभी तक मौसम विभाग न्यूनतम और अधिकतम तापमान ही जारी कर रहा है। दिल्ली मौसम विभाग के निदेशक डा. एससी भान के मुताबिक, मौसम पूर्वानुमान में विंड चिल फैक्टर का समावेश किया गया है। सर्दियों में हवा चलने से तापमान गिरता है लेकिन तापमान जितना गिरता है उससे कहीं अधिक सर्दी अनुभव होती है।
असल में व्यक्ति जैसा सोचता है, दिमाग पर वैसा ही असर पड़ता है। ऐसे में दिमाग की नसों के जरिए उस बात का असर पूरे शरीर की ग्रंथियों पर होता है। एसएमएस जयपुर में मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष व अधीक्षक आरके सोलंकी बताते हैं- व्यक्तित्व के विकास के पीछे आस-पास के वातावरण की काफी भूमिका होती है।
यही वजह है कि हम जैसे ही अखबार या टीवी चैनल पर माइनस में जाते पारे की खबर देखते हैं, दिमाग पूरी तरह चेतन अवस्था में आ जाता है और खबर का रिएक्शन होना शुरू हो जाता है। सर्दी से जकड़न, कंपकपी आदि होना स्वाभाविक है और यही व्यक्ति सोचता भी है। इसलिए शरीर की कोशिकाओं में जकड़न व कंपकंपी होने लगती है। मनोरोग विशेषज्ञ डा. जीडी नाटाणी एवं डा. वीडी मील का मानना है कि जिस प्रकार व्यक्ति रात को कोई प्रतिबिंब देखकर भय के कारण बेहोश हो जाता है, उसके पसीने छूटने लगते हैं। ऐसा ही खबर पढ़ने से होता है।