शैलपुत्री की पूजा को उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

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shitla-mata-mndairफर्रुखाबाद:शनिवार को शुरू हुए शारदीय नवरात्र के दौरान बढपुर स्थित शीतला देवी मंदिर में भक्तों की लम्बी कतारें लगी हुयी थीं| लोग माता रानी के जयकारे लगा रहे थे व माता रानी की एक झलक पाने के लिए घंटों से लाइन में लगे हुए थे| इसके साथ ही साथ जनपद के सभी दुर्गा मन्दिरों में भीड़ कतार में लगी नजर आयी|

बढपुर स्थित शीतला देवी मंदिर, गुरु गाँव देवी, गमा देवी, वैष्णों देवी मंदिर भोलेपुर व मठिया देवी मंदिर में भक्तों की सुबह से ही लम्बी लाईने लग गयी| कई घंटे तक लाइन में लगे रहने के बाद ही लोग माता रानी के दर्शन कर पा रहे थे| माँ को चढाने के लिए चुनरी, नारियल, सिन्दूर आदि पूजा की सामिग्री दुकानों पर सजी हुयी थी व खरीदने के लिए भक्तों की काफी भीड़ लगी हुयी थी| महिलायें माता रानी के मंगलगीत गा रहा थीं| श्रधालुओ ने नव रात्रि के प्रथम दिन शैलपुत्री की पूजा कर सुख-शांति की कामना मांगी| सुहागिन महिलाओ और युवतियों ने भी पूजा में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया|

नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। नवरात्रि संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें । यह पर्व साल में दो बार आता है। एक शारदीय नवरात्रि, दूसरा है चैत्रीय नवरात्रि। नवरात्रि के नौ रातो में तीन हिंदू देवियों – पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं ।इस पर्व से जुड़ी एक अन्य कथा अनुसार देवी दुर्गा ने एक भैंस रूपी असुर अर्थात महिषासुर का वध किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया। उसको वरदान देने के बाद देवताओं को चिंता हुई कि वह अब अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करेगा। और प्रत्याशित प्रतिफल स्वरूप महिषासुर ने नरक का विस्तार स्वर्ग के द्वार तक कर दिया और उसके इस कृत्य को देख देवता विस्मय की स्थिति में आ गए। महिषासुर ने सूर्य, इन्द्र, अग्नि, वायु, चन्द्रमा, यम, वरुण और अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए हैं और स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा है। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा है।

तब महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और कहा जाता है कि इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गईं थी। इन नौ दिन देवी-महिषासुर संग्राम हुआ और अन्ततः महिषासुर-वध कर महिषासुर मर्दिनी कहलायीं