मथुरा: यहां 2 जून को अवैध कब्जा हटाने गए एसपी मुकुल द्विवेदी की मौत गोली लगने से नहीं बल्कि लाठियों से बुरी तरह पीटे जाने से हुई थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। बता दें, घटना के दौरान जब हमलावरों ने फायरिंग शुरू की तो एसपी की टीम उनको छोड़कर भाग खड़ी हुई। अकेला पाकर हमलावरों ने उन्हें डंडे से पीटना शुरू कर दिया। वह बेहोश हो गए, फिर भी पिटाई जारी रही। पत्थरों से भी सिर कुचलने की कोशिश हुई। लाठियों के वार से टूटी कई हड्डियां…
– एसएसपी के पीआरओ राकेश यादव ने बताया कि शहीद एसपी सिटी को छोड़कर भागने के मामले की जांच का काम सीओ सिटी चक्रपाणि त्रिपाठी को दिया गया है।
– 8 सिपाहियों केे भागने की बात सामने आ रही है, जिसमें उनका गनर भी शामिल है। जांच रिपोर्ट आते ही सस्पेंड करने की कार्रवाई होगी।
– पीएम रिपोर्ट के मुताबिक, लाठियों के वार से एसपी मुकुल द्विवेदी के सिर की कई हड्डियां टूट गई थीं।
– मथुरा पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारियों ने दो दिन का वेतन शहीद एसपी सिटी और शहीद एसओ को देने का फैसला किया है।
– दोनों के परिवार को 26- 26 लाख रुपए दिए जाएंगे।
हिंसक संघर्ष में हुई थी 24 लोगों की मौत…
– बता दें कि मथुरा के जवाहर बाग में पुलिस बीते गुरुवार को सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने पहुंची थी।
– ऑपरेशन के दौरान एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और उनकी टीम ने जवाहर बाग की दीवार गिरा दी थी।
– इसके बाद पेड़ पर चढ़े रामवृक्ष यादव के कथित ‘सत्याग्रहियाें’ ने जबरदस्त फायरिंग शुरू कर दी थी।
– इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए और एसओ संतोष यादव की आंख से होती हुई गोली सिर के पार हो गई। इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी।
– पुलिसकर्मी एसओ को उठाकर जैसे ही पीछे हटे, वहां बड़ी संख्या में हमलावर दौड़ते हुए आ गए।
– इसके बाद उन लोगों ने एसपी द्विवेदी को लाठियों से पीटना शुरू कर दिया था।
– जवाब में पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए फायरिंग की।
– इस हिंसक संघर्ष में एसपी और एसओ समेत 24 लोगों की मौत हो गई थी।
कौन थे एसपी मुकुल द्विवेदी?
– हमले के दौरान मारे गए एसपी द्विवेदी 1998 में यूपी पुलिस में भर्ती हुए थे।
– 2000 में उनका प्रमोशन हुआ और डिप्टी एसपी बनाए गए।
– द्विवेदी के दो बेटे हैं। दोनों बरेली में पढ़ाई करते हैं।
– गर्मी की छुट्टी होने के कारण इस वक्त दोनों बेटे मथुरा में ही हैं।
परिवार ने CM, एडमिनिस्ट्रेशन पर क्यों उठाए सवाल?
– तीन फरवरी को ही द्विवेदी की मथुरा में पोस्टिंग हुई। यहां वे एडिशनल एसपी बनकर आए थे। बाद में एसपी बने।
– द्विवेदी की मां ने कहा- ”पैसे नहीं चाहिए। मुझे मेरा बेटा चाहिए। मेरे बेटे को मरवाने के लिए मथुरा भेजा था। मुख्यमंत्री मुझे मेरा बेटा ला दें। हम पति-पत्नी बुजुर्ग हैं। मेरेे बेटे के छोटे-छोटे बच्चे हैं।”
– एसपी के पिता ने कहा, ‘हम क्या कर सकते हैं। हमारा बेटा इतना अच्छा था कि जहां कहीं रहा, लोग कहते थे कि बड़े अच्छे संस्कार मिले हैं। हम कहते थे कि संस्कार भगवान ने दिए हैं। हमने उसे नैतिकता सिखाई है। अच्छे काम सिखाए हैं।”
– ”वह हमेशा सोचा करता था कि कैसे लोगों की मदद करें। एएसपी-डीएम ने क्या किया? लोगों ने वहां दो साल से कब्जा कर रखा था। उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की? मरवा दिया हमारे बेटे को।”
– बता दें कि इस हिंसा में मारे गए पुलिसवालों के फैमिली मेंबर्स के लिए यूपी सरकार ने 20 लाख के मुआवजे का एलान किया है।
पुलिस को टाइम से नहींमिला फायरिंग का ऑर्डर
– मामले में यह पहलू भी सामने आया है कि पुलिस को समय रहते गोली चलाने का ऑर्डर नहीं मिला।
– अगर बड़े पुलिस अफसरों ने डिसीजन लेने में देरी नहीं की होती तो शायद एसपी सिटी और एसओ की जान बच जाती।
– दरअसल, दूसरी तरफ से हो रही फायरिंग के कारण पुलिस आगे नहीं बढ़ पा रही थी।
– 15 मिनट तक एसपी की जबरदस्त पिटाई हुई। ज्यादातर लाठियां सिर पर मारी गईं, जिससे वे बेहोश हो गए।
– इसके बाद ही बड़े अफसरों ने पुलिसकर्मियों को फायरिंग का ऑर्डर दिया। जब पुलिस ने फायरिंग की तो हमलावर पीछे हट गए।
– इसके बाद एसपी सिटी को उठाकर नयति हॉस्पिटल ले जाया गया।
यादव ने जवाहर बाग को छावनी बना लिया था
– दरअसल, जवाहर बाग में हुई इस घटना का मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव था, जिसने इलाके को छावनी में तब्दील कर लिया था।
– उसकी मर्जी के बिना कोई बाग में आ-जा नहीं सकता था। पुलिस भी नहीं।
– उसकी दहशत इतनी थी कि बाग में मौजूद कई अफसर अपने दफ्तर और सरकारी घर छोड़कर चले गए थे।
– जबकि यह जगह एक ओर पुलिस लाइन और एसपी ऑफिस और दूसरी ओर जज कॉलोनी से घिरी है।
– बाग का एन्ट्रेंस एसपी ऑफिस से जुड़ा है।
– लोकल सिटीजन हेम यादव ने बताया कि बाग के गेट पर तलवारधारी पहरा देते रहते थे। कॉलोनी के एक शख्स ने बताया कि अगर हम लोग छत पर जाते थे तो रामवृक्ष के लोग लाठी-डंडे, तलवार और पिस्टल दिखाते थे।
– एक अन्य शख्स ने बताया कि 50 महिलाएं सुबह-शाम खाना बनाती थी। आठ बजे दिन की शुरुआत होती थी।
– इसमें ‘संकल्प है शहीदों का, देश भक्तों की मंजिल, स्वाधीन भारत का झंडा लहराने लगा’ जैसे गाने गाए जाते थे।
– रामवृक्ष की कॉलोनी में हर सब्जी 5 रु किलो बिकती थी। इसके लिए वह सब्सिडी देता था।
– बाग में मर्सिडीज जैसी महंगी गाड़ियां थीं। कैंपस में कई जगह गड्ढे करके हथियार छुपाए गए थे।
हाईकोर्ट ने दिया था कब्जा हटाने का ऑर्डर
– हाईकोर्ट ने मथुरा एडमिनिस्ट्रेशन को जवाहर बाग पर हुआ अवैध कब्जा हटाने का आदेश दिया था।
– इस पर कब्जा करने वालों को नोटिस भेजा गया था, लेकिन ये लोग वहां से नहीं हटे।
– इसी के बाद पुलिस टीम अवैध कब्जा हटवाने वहां पहुंची थी।