गुलबर्ग दंगा में कोर्ट का आया फैसला, 36 हुए बरी,23 आरोपी दोषी करार

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Suraiya Ankleshwaria looks on as she and others pay homage to those killed at Gulbarg Society following the February 2002 Godhra train incident, which sparked communal riots that year, on the ninth anniversary of the incident in Ahmedabad on February 28, 2011. A total of 69 people were killed in the Gulberg Society carnage, including former Congress Member of Parliament Ehsan Jafri on February 28, 2002. The aftermath of the Godhra Train carnage resulted in widespread communal riots across Gujarat where more than 2,000 were killed. A Special Court has reserved the pronouncement of quantum of punishment to the 31 convicted in the Godhra Train Carnage incident till March 1. AFP PHOTO / Sam PANTHAKY (Photo credit should read SAM PANTHAKY/AFP/Getty Images)अहमदाबाद: अहमदाबाद के 14 साल पुराने चर्चित गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए कुल 23 लोगों को दोषी करार दिया है। इनमें 11 को 302 के तहत दोषी ठहराया गया है। जबकि 36 लोगों को बरी कर दिया गया है।

कोर्ट ने कहा कि 34 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि साजिश के तहत ये घटनाक्रम नहीं हुआ था। 12 लोगों को कम सजा की धारा के तहत दोषी करार दिया गया। वहीं दंगे में मारे गए पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने कहा कि वह 34 लोगों को छोड़े जाने के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगी।

क्या था मामला

2002 में साबरमती एक्सप्रेस में लगायी गई आग में 59 लोग मारे गए थे। जिसके बाद अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसायटी में गुस्साई भीड़ ने 69 लोगों को जिन्दा जला दिया था। हमले में मारे गए लोगों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी थे। इस हमले में पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी। मामले की जांच कर रही एसआईटी ने 73 लोगों को गिरफ्तार किया था। फैसले से पहले कोर्ट ने सभी आरोपियों को कोर्ट में हाजिर रहने के आदेश भी दिए हैं।

गुलबर्ग नरसंहार की जांच समय समय पर अलग-अलग एजेंसियां करती रहीं। लेकिन घटना के 7 साल बाद सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी गठित की गई। एसआईटी को गुजरात दंगों के 9 मामलों की जांच दी गई थी जिसमें से गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड एक है। एसआईटी ने इस मामले की जांच करते हुए 73 लोगों को गिरफ्तार किया था इन 73 लोगों पर साजिश के तहत हत्या करने का मामला दर्ज किया गया था। अब तक 73 लोगों में 4 की मौत हो चुकी है जबकि कुछ लोग हमले के वक्त नाबालिग थे। अगर ऐसे लोगों को हटा दिया जाए तो 60 आरोपियों पर फैसला आना है। कुल आरोपियों में से 9 आरोपी पिछले 14 साल से सलाखों के पीछे हैं जबकि बाकी जमानत पर रिहा हैं।

इस मामले में अबतक 73 आरोपियों पर अलग-अलग समय पर 11 चार्जशीट दायर की गई है, जबकि मुकदमे की सुनवाई के दौरान 338 गवाहों ने गवाही दी है। कोर्ट ने पिछले साल ही इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की रोक के चलते फैसला सुनाया नहीं जा सका। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी महीने में इस मामले पर फैसले पर लगाई रोक हटा ली थी।