फर्रुखाबाद: बेसिक शिक्षा से मतलब है कि हर अमीर गरीब से मतलब रखता है यदि आप के पास पैसा है तो आप तो अपने बच्चे को पढ़ा लेंगें। किन्तु उस गरीब के बच्चे का क्या होगा जिसके पास धन नहीँ है, उसके बच्चे के पास क्या पढ़ने का अधिकार नहीँ है जरा सोचिए कि उत्तर प्रदेश की 80% आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है और उसमे भी 60% के बच्चे इन्हीं परिषद के स्कूल में पढ़ने को मजबूर हैं और हमारे शासन प्रशासन की यही मंशा रहती है कि सरकारी स्कूल के टीचर से जितना ज्यादा से ज्यादा काम लिये जाय।
सरकार की यही मंशा रहती है कि यदि गरीब का बच्चा पढ़ गया तो फिर इन्हे ज्ञान हो जायेगा। नहीँ तो सरकार हर कक्षा को एक टीचर और टीचर से पढाई के अलावा कोई काम न लिया जाये तो हम देखते हैं कि कैसे सरकारी स्कूल में पढाई नहीँ होती| बेसिक के टीचरों को फिर से बाहरी काम मिला गये आप सब की निगाह में सरकारी टीचर पढ़ाते नहीँ। अब कितना काम लेंगें स्कूल के इतने काम फिर B.L.O. का काम।
अब टीचर घर-घर जाकर मतदाता बनायेगा फिर जो चले गये उनके नाम भी काटेगा और निर्वाचन कार्यालय के आदेशों का पालन करेगा। निर्वाचन कार्यालय के अधिकारी कहते हैं कि स्कूल बँद होते हैं तो होने दो लेकिन निर्वाचन का काम ज़रूरी है। गरीबों के बच्चों के पढ़ने पर लग गयी रोक। इसीलिए आप लोग जो होशियार हैं और समझदार हैं वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं किन्तु आप सोचिए उनकी जगह आप के बच्चे के साथ यह हो तो आपके बच्चे की पढाई कैसे होगी।
आनंद अवस्थी कानपुर (हंसपुरम)