फर्रुखाबाद: हवालात में बंद भतीजे को छुड़ाने पहुंचे स्टेशन मास्टर को कहासुनी के बाद आरपीएफ के सिपाहियों ने हवालात में डाल उनसे जमकर अभद्रता की। आरपीएफ के अभद्रता की खबर जब रेलवे कर्मचारियों को लगी तो सभी ने कामकाज ठप कर कानपुर-फर्रुखाबाद रेलवे ट्रैक पर जाम लगा दिया। करीब डेढ़ घंटे तक ट्रैक से किसी भी ट्रेन को नहीं निकलने दिया गया। बवाल बढ़ने पर कोतवाल भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे। स्टेशन मास्टर को रिहा करने के बाद कर्मचारियों ने रेलवे ट्रैक से ट्रेनों को निकलने दिया। पूरे मामले की रिपोर्ट रेलवे के बड़े अफसरों को भेजी जा रही है।
परमेश्वर दयाल कमालगंज में स्टेशन मास्टर के पद पर कार्यरत हैं। फतेहगढ़ स्थित सरकारी क्वाटर में वह परिवार के साथ रहते हैं। परमेश्वर दयाल का भतीजा आदित्य एमएसटी बनवाने के लिए स्टेशन गया था। लाइन में खड़ा होकर वह अपनी बारी आने का इंतजार कर रहा था कि इसी बीच आरपीएफ के सिपाहियों से किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई। सिपाही उसे जबरन खींचकर ले गए और हवालात में बंद कर दिया। सूचना परमेश्वर दयाल को मिली तो वह भी पहुंच गए। उनके विरोध करने पर सिपाहियों और वहां मौजूद आरपीएफ के स्टाफ ने स्टेशन मास्टर परमेश्वर दयाल से खासी अभद्रता कर उन्हें भी हवालात में डाल दिया। आरपीएफ के करतूतों की जानकारी रेलवे कर्मचारियों को मिली तो सभी आक्रोशित हो गए। कामकाज ठप कर दर्जनों कर्मचारियों ने कानपुर-फर्रुखाबाद रेलवे ट्रैक को बाधित कर दिया। ट्रैक पर बैनर लगाने के बाद कर्मचारी सीधे आरपीएफ थाने पहुंच गए। यहां पर कर्मचारियों ने नारेबाजी कर हंगामा शुरू कर दिया। बवाल बढ़ने पर कोतवाल भारी पुलिस बल के साथ पहुंच गए। समाचार लिखे जाने तक आरपीएफ ने स्टेशन मास्टर को तो हवालात से निकाल दिया लेकिन भतीजे को नहीं छोड़ा। स्टेशन मास्टर को छोड़ने के बाद कर्मचारियों ने ट्रैक से ट्रेने निकलनें दीं। करीब डेढ़ घंटे तक रेलवे ट्रैक बाधित होने से कई गाड़ियां जहां की तहां खड़ी रहीं। इस संबध में कोतवाल का कहना है कि जरा से विवाद के बाद मामला बढ़ गया। स्टेशन मास्टर को आरपीएफ ने रिहा कर दिया लेकिन भतीजे को नहीं छोड़ा। वहीं रेलवे कर्मचारियों का कहना है कि यहां आरपीएफ के सिपाही दरोगा पूरे दिन वूसूली करते हैं। कोई विरोध करता है तो उसे सीधे हवालात में डाल देते हैं। एमएसटी खिड़की पर भी सिपाहियों का ही दबदबा रहता है। एमएसटी बनवाने के विवाद में ही कोई बवाल सिपाहियों ने किया, जिसका आदित्य ने विरोध किया। उसके बाद सिपाही उसे जबरन खींच ले गए।